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कर्तरि
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वाह)।
कर्त्तरि-I. iii. 78
कर्ता -I.ii.67 (जिन धातुओं से, जिस विशेषण द्वारा आत्मनेपद का (अण्यन्तावस्था में जो कर्म.वही यदि ण्यन्तावस्था में) विधान किया है,उनसे अवशिष्ट धातुओं से) कर्तृवाच्य में
कर्ता बन रहा हो तो (ऐसी ण्यन्त धातु से आत्मनेपद होता (परस्मैपद होता है)।
है, आध्यान = उत्कण्ठापूर्वक स्मरण अर्थ में)। कर्तरि - II. ii. 15
कर्ता-1. iv. 40 कर्ता में (जो तृच् और अक प्रत्ययान्त सुबन्त,उनके साथ
___ (प्रति एवं आङ् पूर्वक श्रु धातु के प्रयोग में पूर्व का) कर्म में जो षष्ठी, वह समास को प्राप्त नहीं होती)।
जो कर्ता,वह (कारक सम्प्रदान संज्ञक होता है)। . कर्तरि -II. 1.16 कर्ता में (जो षष्ठी, वह भी अक प्रत्ययान्त सुबन्त के
कर्ता -I. iv. 52 . साथ समास को प्राप्त नहीं होती)।
(गत्यर्थक,बुद्ध्यर्थक,भोजनार्थक तथा शब्द कर्म वाली
और अकर्मक धातुओं का) जो (अण्यन्तावस्था में) कर्ता, कर्तरि -II. iii. 71
(कृत्य प्रत्ययों के योग में) कर्त कारक में विकल्प से वह (ण्यन्तावस्था में कर्मसंज्ञक हो जाता है)। षष्ठी विभक्ति होती है,न कि कर्म में)।
कर्ता-I. iv. 54 कर्तरि -III. I. 48
(क्रिया की सिद्धि में स्वतन्त्र रूप से विवक्षित कारक कर्तवाची (लङ) परे रहते (णिजन्तों से तथा श्रिद और की) कर्त संज्ञा होती है। स्रु से उत्तर लि को चङ् होता है)।
कर्ता - VI. 1. 201 कर्तरि -III. 1. 68 कर्तृवाची (सार्वधातुक) परे रहते (धातु से शप् प्रत्यय
कर्तृवाची (आशित शब्द को आधुदात्त होता है)। होता है)।
कर्तुः-I. iv. 49 कर्तरि -III. ii. 19
कर्ता को (अपनी क्रिया के द्वारा जो अत्यन्त ईप्सित हो.. कर्तृवाची (पूर्व शब्द) उपपद रहते (स्' धातु से 'ट' उस कारक की कर्म संज्ञा होती है)। प्रत्यय होता है)।
कर्तुः -III.i. 11 कर्तरि -III. 1.57 .
(उपमानवाची सुबन्त) कर्ता से (विकल्प से क्यङ् प्रत्यय (च्यर्थ में वर्तमान अच्ळ्यन्त आढ्य,सुभग,स्थूल,पलित, होता है और विकल्प से ही सकार का लोप भी)। नग्न, अन्ध,प्रिय- ये सुबन्त उपपद हों तो) कर्तृ कारक में (भू धातु से खिष्णुच् तथा खुकञ् प्रत्यय होते हैं)।
कर्तुः - III. ii. 116 . कर्तरि -III. 1.79
(जिस कर्म के संस्पर्श से) कर्ता को (शरीर का सुख (उपमानवाची) कर्ता के उपपद रहते (धातुमात्र से णिनि ।
पातमाणिनि उत्पन्न हो, ऐसे कर्म के उपपद रहते भी धातु से ल्युट् प्रत्यय होता है)।
प्रत्यय होता है)। कर्तरि - III. ii. 186
कर्तृ... -II. . 31 (पूज धातु से ऋषिवाची करण तथा देवतावाची) कर्ता देखें - कर्तृकरणे II. I. 31 में (इत्र प्रत्यय होता है,वर्तमान काल में)।
कर्तृ... - II. iii. 18 कर्तरि - III. iv. 67
-कर्तृकरणयोः II. Ili. 18 (इस धातु के अधिकार में सामान्य विहित कृत् संज्ञक कर्त... -II. 11. 65 प्रत्यय) कर्तृ कारक में (होते हैं)।
देखें-कर्तृकर्मणोः II. iii. 65 कर्तरि - III. iv.71
...कर्तृ... -III. ii. 21 (क्रिया के आरम्भ के आदि क्षण में विहित जो क्त देखें-दिवाविमा० III. ii. 21 प्रत्यय.वह) कर्ता में (होता है तथा चकार से भावकर्म में कर्तृ... -III. iii. 127 भी होता है)।
देखें - कर्तृकर्मणोः III. iii. 127