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...कम...
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करणे
...कम.. -III. ii. 154
देखें-लषपतपद० III. I. 154 ...कम... -III. ii. 167
देखें- नमिकम्पि III. ii. 167 ...कमण्डल्वो :-IV.i. 71
देखें - कद्रुकमण्डल्वो: IV.i.71 ...कमि... - VIII. iii. 46
देखें- कृकमि० VIII. iii.46 ...कमि... - VIII. iv. 33
देखें- भाभूपू० VIII. iv. 33 कमिता-v.ii.74 'इच्छा करने वाला' अर्थ में (अनक.अभिक तथा अभीक शब्दों को निपातन किया जाता है)। ...कमुलौ -III. iv. 12
देखें- णमुल्कमुलौ III. iv. 12 कम: -III. 1.30
कान्त्यर्थक कमु धातु से (णिङ् प्रत्यय होता है)। ...कम्पि .. -III. ii. 167
देखें-नमिकम्पि० III. ii. 167 कम्बलात् - V.i.3
'कम्बल' - इस प्रातिपदिक से (भी क्रीत अर्थ से पहले कहे गये अर्थों में यत् प्रत्यय होता है,सज्ञा-विषय के होने पर)। ...कम्बल्येभ्यः - IV.i. 22
देखें- अपरिमाणविस्ताo IV. 1. 22 कम्बोजात् - Iv.i. 173
(क्षत्रियाभिधायी जनपदवाची) जो कम्बोज शब्द,उससे (अपत्यार्थ में विहित तद्राज-संज्ञक प्रत्यय का लुक् हो जाता है)। करण..-III. ii. 45
देखें-करणभावयोः III. ii. 45 करण... -III. iii. 117
देखें-करणाधिकरणयोः III. iii. 117 करण... - IV. iv.97
देखें- करणजल्पकर्षेषु IV. iv.97 करणजल्पकर्षेषु -IV. iv.97 (षष्ठीसमर्थ मत,जन, हल प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य
करणपूर्वात् - IV.1.50
करण कारक पूर्व वाले (क्रीत-शब्दान्तं अनुपसर्जन) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिंग में डीप् प्रत्यय होता है)। करणभावयोः -III. 1. 45
(आशित सुबन्त उपपद रहते भू धातु से) करण और भाव में (खच् प्रत्यय होता है)। करणम् -I. iv. 42
(क्रिया की सिद्धि में जो सबसे अधिक सहायक, उस कारक की) करणसंज्ञा होती है। करणम् -III. I. 102
करण कारक में (वह धातु से यत् प्रत्यय करके वह्यम्' शब्द का निपातन होता है)। करणम् -VI.1. 196
करणवाची (जय शब्द आधुदात्त होता है)। ...करणयोः -II. 1. 18
देखें - कर्तृकरणयोः II. I0. 18 ...करणयोः -VI. iv. 27
देखें-भावकरणयो: VI. iv. 27 . ...करणयो: - VIII. iv. 10
देखें-भावकरणयो: VIII. iv. 10 करणाधिकरणयोः - III. iii: 117
(धातु से) करण और अधिकरण कारक में (भी ल्युट् प्रत्यय होता है)। ...करणे-II.i.31
देखें-कर्तकरणे II,I.31 करणे-II. iii. 33
करण कारक में (असत्ववाची स्तोक, अल्प,कृच्छु और कतिपय - इन शब्दों से विकल्प से तृतीया और पञ्चमी विभक्ति होती है)। करणे-II. iii. 51
(अविदर्थक 'ज्ञा' धातु के) करण कारक में (शेष विवक्षित होने पर षष्ठी विभक्ति होती है)। करणे -II. iii.63
(यज् के) करण कारक में (वेद-विषय में बहुल करके षष्ठी विभक्ति होती है)। करणे - III.1.17
करण अर्थात करने अर्थ में (कर्मवाची शब्द,वैर,कलह, अभ्र,कण्व और मेष शब्दों से क्यङ् प्रत्यय होता है)। विशेष- यहाँ करण शब्द क्रिया का वाचक है; पारिभाषिक 'साधकतमं करणम्' वाला करण नहीं।