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कन् - V.iv.3
कप -III. ii. 70 . (स्थूलादि प्रातिपदिकों से प्रकारवचन गम्यमान हो तो) सुबन्त उपपद रहते 'दुह' धातु से कप् प्रत्यय होता है कन् प्रत्यय होता है।
(तथा अन्त्य हकार को घकारादेश होता है)। कन् -V.iv. 29
कप् - V. iv. 151 (यावादि प्रातिपदिकों से स्वार्थ में) कन् प्रत्यय होता है। (उरस इत्यादि अन्तवाले शब्दों से बहुव्रीहि समास में) कनिक्रदत् -VII. iv. 65
कप् प्रत्यय होता है। कनिक्रदत् शब्द (वेद-विषय में) निपातन किया जाता ...कपाटयोः - III. ii. 54
देखें - हस्तिकपाटयोIII. ii. 54 कनीन - IV. 1. 116
...कपाल... -VI. ii. 29 (कन्या शब्द से अपत्य अर्थ में अण प्रत्यय होता है तथा देखें- इगन्तकाल०VI. ii.29 अण परे रहते कन्या शब्द को) कनीन आदेश (भी) हो
कपि... - IV.i. 107 जाता है।
देखें- कपिबोधात् IV. 1. 107 ...कनीयसी-vi. ii. 189
कपि.. -v.i. 126 देखें - अप्रधानकनीयसी VI. ii. 189
देखें - कपिज्ञात्यो: V.i. 126 ...कनौ - IV. iv. 21
कपि-VI.ii. 173 'देखें- कक्कनौ IV. iv. 21
(नञ् तथा सु से उत्तर उत्तरपद के) कप् के परे रहते ...कनौ-V.i.50
(उससे पूर्व को उदात्त होता है)। देखें - ठन्कनौ V.i. 50
कपि - VI. iii. 126 कन्था -II. iv. 20
कप् परे रहते (चिति शब्द को दीर्घ हो जाता है, संहिता 'कन्थान्त (तत्पुरुष संज्ञा विषय में नपंसक लिंग में होता है,यदि वह कन्था उशीनर जनपद-सम्बन्धी हो तो)।
विषय में)। कन्था ... - IV. ii. 141
कपि-VII. iv. 14 देखें- कन्थापलदO IV.ii. 141
कप प्रत्यय परे रहते (अण् = अ, इ, उ को ह्रस्व नहीं कन्था - VI. ii. 124
होता है)। (नपुंसक लिंग) कन्थान्त (तत्पुरुष समास में भी उत्तरपद कपिज्ञात्यो: - V.i. 126 को आधुदात्त होता है)।
(षष्ठीसमर्थ) कपि तथा ज्ञाति प्रातिपदिकों से (भाव और कन्थापलदनगरग्रामह्रदोत्तरपदात् - IV. ii. 141 कर्म अर्थ में ढक प्रत्यय होता है)। . - कन्था, पलद,नगर,ग्राम तथा ह्रद शब्द उत्तरपद में हैं कपिबोधात् - IV.i. 107 जिनके, ऐसे (वृद्धसंज्ञक देशवाची) प्रातिपदिकों से (छ। कपि तथा बोध प्रातिपदिकों से (आङ्गिरस गोत्र कहना प्रत्यय होता है)।
हो तो यञ् प्रत्यय होता है)। कन्थायाः - IV.ii. 101
कपिष्ठल: - VIII. iii. 91 कन्था प्रातिपदिक से (शैषिक ठक् प्रत्यय होता है)।
(कपिष्ठल में मुर्धन्य आदेश निपातन है. गोत्र विषय कन्यायाः -IV.i. 116
को कहने में)। कन्या शब्द से (अपत्य अर्थ में अण प्रत्यय होता है तथा अण् परे रहने पर) कन्या शब्द को (कनीन आदेश भी हो ...कपूर्वाया: - VII. iii. 46 जाता है)।
देखें - यकपूर्वाया: VII. iii. 46 कन्लुको-V. iii. 51
...कबरात् - IV.i. 42 (मान = माप का पश्वङ्ग अर्थात् पशु का अंग रूपी षष्ठ देखें- जानपदकुण्ड IV. 1. 42 और अष्टम शब्दों से यथासंख्य करके) कन् तथा लुक कम्... - V.ii. 138 प्रत्यय होते है,(भाग अभिधेय हो तो)।
देखें- कंशंभ्याम् V.ii. 138