SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द के अनेक अर्थ दिये गये हैं। इस प्रकार के कोशों का आरम्भिक रूप अमरकोश के तृतीय काण्ड में भी देखने को मिलता है; लेकिन इसका पूर्ण विकसित रूप मेदिनीकोश तथा हलायुध में दिखाई देता है। नानार्थकोशों में शब्दों की संरचना वर्णानुक्रम से पहली बार की गई, जो आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दिशा में प्रथम प्रयास था। ___ एकाक्षरकोशों की रचना से संस्कृत कोशों के क्षेत्र में नानारूपता आई और इन्होंने निस्सन्देह संस्कृत-कोश-साहित्य को समृद्धतर किया। आधुनिक काल में भी संस्कृत में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोश लिखे गए। इनमें से अधिकांश कोशों में शब्दों को वर्णानुक्रम से रखकर उनके अर्थों को प्रयोगों के आधार पर दिया गया है। ये कोश कण्ठस्थ किये जाने योग्य नहीं हैं; ये सहायक ग्रन्थ के रूप में ही प्रयुक्त किये जा सकते हैं। इन कोशों में वाचस्पत्यम्, शब्दकल्पद्रुम, सैण्ट पीटर्सबर्ग संस्कृत-जर्मन शब्दकोश, मोनियर विलियम्स-विरचित संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश, आप्टे-विरचित प्रैक्टिकल संस्कृतअंग्रेजी शब्दकोश। वैदिक शब्दों के लिए सूर्यकान्तरचित वैदिक शब्दकोश, पारिभाषिक शब्दों के लिए झल्कीकरविरचित न्यायकोश, दातार काशीकर आदि विद्वानों द्वारा रचित श्रौतकोश, लक्ष्मण शास्त्रीविरचित धर्मकोश आदि विशेषेण उल्लेख्य हैं । इन सभी कोशों में शब्दों को वैज्ञानिक पद्धति से व्यवस्थित कर उनके अर्थों को अभिव्यक्त किया गया है। इनमें से अधिकांश कोशों में अर्थों की पुष्टि के लिए प्रयुक्त सन्दर्भो को भी उद्धृत किया गया है। पूना में आजकल एक नवीन संस्कृत-शब्दकोश के निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसमें अनेक प्रतिष्ठित विद्वान् वर्षों से संलग्न हैं । इस आधुनिकतम कोश में ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार शब्दों के अर्थ परिवर्तित हुए— यह भी बतलाने का प्रयास किया गया है । इसे 'डैस्क्रिप्टिव डिक्शनरी ऑव् संस्कृत लैंग्वेज ऑन हिस्टोरिकल प्रिंसिपल्स' नाम दिया गया है। जैसी कि आशा है यह कोश कोशरचना की कला का अत्यन्त विकसित रूप होगा। . आधुनिक काल में शब्दकोश-प्रणयन-प्रणाली में पर्याप्त प्रगति हो चुकी है और इसका प्रमुख . कारण प्राच्य के साथ पाश्चात्य का विद्या के क्षेत्र में आदान-प्रदान कह सकते हैं । ऊपर उल्लिखित कोशों के अतिरिक्त आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली पर निर्मित निम्न कोश महत्वपूर्ण हैं- १. विल्सन द्वारा संकलित संस्कृत-आंग्ल भाषा कोश, २. बॉथलिंक और रॉथ द्वारा संकलित संस्कृत जर्मन वॉर्टरबुश, ३. तारानाथ भट्टाचार्यविरचित शब्दस्तोममहानिधि, ४. वानोंफरचित संस्कृत-फ्रेञ्च शब्दकोश, ५. आनन्दराम बडुआ-विरचित नानार्थसंग्रह, ६. रामावतार शर्मा द्वारा संकलित वाङ्मयार्णव, ७. मैक्डोनैलविरचित संस्कृत-आंग्लभाषाकोश तथा, ८. मैक्डोनैल एवं कीथ द्वारा रचित वैदिक इण्डैक्स । . आधुनिक अध्ययन-पद्धति में कोश एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका का संवहन करते हैं । अनेक शास्त्रों को न पढ़ सकने वाला भी एक शब्द के अनेक अर्थों को विभिन्न सन्दर्भो और शास्त्रों अथवा विधाओं के परिप्रेक्ष्य में जान सकता है । सभी समृद्ध भाषाओं के अनेक कोष उपलब्ध होते हैं । संस्कृत, अंग्रेज़ी या इसी प्रकार की अन्य समृद्ध भाषाओं के अनेक तकनीकी, व्यावसायिक एवं भिन्न-भिन्न विज्ञानों से सम्बन्धित पृथक्-पृथक् कोश प्रचुर संख्या में मिलते हैं।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy