________________
..उन्द...
... उन्द... - VIII. 1. 56
देखें- नुदविदोन्द० VIII. II. 56
उन्नतः - V. 1. 106
उन्नत समानाधिकरण वाले (दन्त प्रातिपदिक से उरच् प्रत्यय होता है, 'मत्वर्थ' में)।
उन्नत = ऊपर की ओर निकला हुआ।
उनी... - III. 1. 123 उन्नीय...
देखें - निष्टक्यदेवहूक III. 1. 123
उन्योः
III. iii. 29
उद् तथा नि उपपद रहने पर (गृ' धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में घञ् प्रत्यय होता है) ।
-
... उन्मद... III. ii. 136
देखें - अलंकृ० III. 1. 136
उन्मनाः - V. II. 80
(उत्क शब्द उत्पूर्वक कन् प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है), 'उदास मन वाला' अभिधेय हो तो।
...उप... - I. ill. 30
देखें - निसमुपविष्य 1. III. 30
उप... - I. 1. 39
देखें - उपपराभ्याम् I. III. 39
उप... - I. Iv. 48
देखें - उपान्यध्याय 1. Iv. 48
... उप... - III. lit. 63
देखें समुप० III. III. 63
-
... उप... - III. iii. 72
देखें - न्यभ्युपविषु III. 1. 72
उप...
III. iv. 49
देखे - उपपीडरुयकर्ष: III. Iv. 49
118
उप... - V. II. 34
देखें - उपाधिभ्याम् V. 1. 34
... उप... - VI. II. 33
देखें- परिप्रत्युपाप VI. II. 33
... उप... - VIII. 1. 6
देखें प्रसमुपोद VIII. 1. 6
उप - 1. iv. 86
उप शब्द (अधिक तथा हीन अर्थ में कर्मप्रवचनीय और निपातसंज्ञक होता है)।
1
... . उपकर्ण... - IV. III. 40
देखें उपजानूपकर्णo IV. II. 40 उपकादिभ्यः - II. iv. 69
उपक आदियों से उत्तर (द्वन्द्व और अद्वन्द्व दोनों में गोत्र प्रत्यय का विकल्प से लुक होता है; बहुत्व की विवक्षा होने पर)।
... उपक्रम...
- VI. ii. 14
देखें - मात्रोपज्ञोपo VI. ii. 14
.. उपक्रमम् - II. Iv. 21
देखें - उपज्ञोपक्रमम् II. Iv. 21
उपन
-
III. iii. 85
सामीप्य प्रतीत होने पर, कर्तृभिन्न संज्ञा में) उपघ्न शब्द उप पूर्वक हन् धातु से अप् प्रत्यय तथा हन् की उपधा का लोप कर निपातन किया जाता है।
-
-
... उपचाय्य...
• III. 1. 131
देखें - परिचाय्योपचाय्यo III. 1. 131
.... उपचाध्यानि - III. 1. 123 देखें - निष्टवर्यदेवहू III. 1. 123 उपजानु... - IV. 1. 40 देखें उपजानूपकर्ण० IV. iii. 40 उपजानूपकर्णोपनीये - IV. III. 40
सप्तमीसमर्थ उपजानु, उपकर्ण तथा उपनीवि शब्द से
(प्रायभव:' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)।
-
उपज्ञा...
II. iv. 21
देखें - उपज्ञोपक्रमम् II. iv. 21
-
.. उपज्ञा... - VI. 1. 13 देखें मात्रोपज्ञोपo VI. I. 13 उपज्ञाते - IV. 1. 115
...उपतापयोः
(तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से) उपज्ञात = नई सूझ
में (यथाविहित प्रत्यय होता है)।
-
उपज्ञोपक्रमम् III. 21
( नञ् तथा कर्मधारयवर्जित) उपज्ञान्त तथा उपक्रमान्त (तत्पुरुष नपुंसकलिंग में होता है, यदि उपज्ञेय तथा उपक्रम्य के आदि = प्रथम कर्ता को कहने की इच्छा हो तो)।
-
...उपताप... - V. ii. 128
देखें इन्द्रोपतापo V. 1. 128
... उपतापयोः - VII. iii. 61
देखें - पाण्युपतापयोः VII. III. 61
अर्थ