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उदात्तः
उद-I.ii. 53
...उदन्य.. -VII. iv.34 उत् उपसर्ग से उत्तर (सकर्मक चर् धातु से आत्मनेपद देखें- अशनायोदन्यः VII. iv. 34 होता है)।
उदन्वान् - VIII. ii. 13
उदन्वान शब्द (उदधि तथा संज्ञा विषय में निपातन है)। ...उदः-V. 1.29 देखें-सम्प्रोद: V... 29
...उदर... -IV..55 उदः-VI. iii. 56
देखें-नासिकोदरौष्ठ 1.1.55 (उदक शब्द को) उद आदेश होता है; (सज्ञा विषय में, उदर... - VI. ii. 107 उत्तरपद परे रहते)।
देखें - उदराश्वेषुषु VI. ii. 107 उदः-VI. iv. 139
...उदरयोः -III. iv.31 उत् उपसर्ग से उत्तर(भसजक अञ्जको ईकारादेश होता
देखें - चर्मोदरयोः III. iv. 31 उदरात् -V.ii.67
(सप्तमीसमर्थ) उदर प्रातिपदिक से (पेटू' वाच्य हो तो ...उद -VIII. 1.6
'तत्पर' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। देखें -प्रसमुपोदः VIII. 1.6
उदराश्वेषुषु-VI. ii. 107 उदः -VIII. iv.60 .
__उदर,अश्व,इषु - इनके उत्तरपद रहते (बहुव्रीहि समास उत् उपसर्ग से उत्तर (स्था तथा स्तम्भ को पूर्वसवर्ण
में सज्ञाविषय में पूर्वपद को अन्तोदात्त होता है)। • आदेश होता है)।
उदरे - VI. iii. 87 उदक-IV. 1.73
उदर शब्द उत्तरपद रहते (य प्रत्यय परे हो तो समान शब्द . (विपाट् नदी के) उत्तरदेश में (जो कुएँ है,उनके अभिधेय
भिधय को विकल्प करके स आदेश हो जाता है)। होने पर भी अञ् प्रत्यय होता है)।
....उदर्केषु -VI. iii. 83 उदकस्य -VI. iii. 56
देखें - अमूर्धप्रभृत्यु० VI. iii. 83 उदक शब्द को (उद आदेश होता है; सज्ञाविषय में. .
॥ है; सज्ञाविषय म, उदश्वितः -IV. 1. 18 उत्तरपद परे रहते)।
(सप्तमीसमर्थ) उदश्वित् प्रातिपदिक से (संस्कृतं भक्षा' उदके - VI. ii. 96
अर्थ में विकल्प से ठक् प्रत्यय होता है)। 'मिश्रित अर्थ के बोधक समास में) उदक शब्द उपपद उदात्त... -I. ii. 40 रहते (पूर्वपद को अन्तोदात्त होता है)।
देखें-उदात्तस्वरितपरस्य I. ii. 40 उनुः -III. iii. 123
उदात्त... - VIII. ii. 4 (उदक विषय न हो तो पुंल्लिग में) उत् पूर्वक अञ्च धातु देखें- उदात्तस्वरितयो: VIII. 1.4 से घञ् प्रत्ययान्त उद्ङ्क शब्द निपातन किया जाता है, उदात्त... - VIII. iv.66 (अधिकरण कारक में,संज्ञा विषय होने पर)।
देखें - उदात्तस्वरितोदय VIII. iv. 66 ...उदच्.. - IV. ii. 100
उदात्तः -I. ii. 29 देखें-धुप्रागपागु० IV. ii. 100
(ऊर्ध्व भाग से उच्चरित अच की) उदात्त संज्ञा होती है। उदधौ-VIII. ii. 13
उदात्त -I. ii. 37
(सुब्रह्मण्य नाम वाले निगद में एकश्रुति नहीं हो, किन्तु (उदन्वान् शब्द) उदधि (तथा सञ्जा) के विषय में
उस निगद में जो स्वरित,उसको) उदात्त (तो) हो जाता है। (निपातन है)।
उदात्त: -III. iii.96 उदन् -VI.i. 61
(मन्त्रविषय में वृष, इष,पच,मन, विद,भू, वी तथा रा (वेद-विषय में उदक शब्द के स्थान में) उदन् आदेश हो धातुओं से स्त्रीलिङ्गभाव में क्तिन् प्रत्यय होता है,और) वह जाता है,(शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)। उदात्त होता है।