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आदायेषु
... आदायेषु - III. ii. 17
देखें - भिक्षासेना० III. I. 17
आदि... - I. 1. 45
देखें आद्यन्तौ I. 1. 45
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... आदि .
III. ii. 21
देखें दिवाविभा०] III. 1. 21
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आदि - I. 1. 70
आदिवर्ण (अन्त्य इत्संज्ञक वर्ण के साथ मिलकर दोनों के मध्य में स्थित वर्णों का तथा अपने स्वरूप का भी ग्रहण कराता है)।
आदि: - I. 1. 72
(जिस समुदाय के अचों में) आदि अच् (वृद्धिसंज्ञक हो, उस समुदाय की वृद्धसंज्ञा होती है)।
आदि
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I. iii. 5
(उपदेश में) आदिभूत (जि, दु और हु की इत्सब्जा होती
है)।
आदि: - IV. ii. 54
(प्रथमासमर्थ छन्दोवाची प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में यथाविहित अण् प्रत्यय होता है, प्रगाथों के) आदि के अभिधेय होने पर ।
आदि: - VI. 1. 181
(सिच् अन्त वाला शब्द विकल्प से) आदि(उदात्त होता
है) ।
आदि - VI. 1. 183
(अजादि अनिट् लसार्वधातुक परे हो तो अभ्यस्तसंज्ञक के) आदि को (उदात्त होता है) ।
आदि - VI. 1. 188
(मुल परे रहते पूर्व धातु को विकल्प से) आदि (उदात्त होता है)।
आदि: - VI. 1. 191
( ञकार इत्सञ्ज्ञक तथा नकार इत्सञ्ज्ञक प्रत्ययों के परे रहते नित्य ही) आदि को (उदात्त होता है)। आदि: - VI. ii. 27
(प्रत्येनस् शब्द उत्तरपद रहते कर्मधारय समास में कुमार शब्द को) आदि (उदात्त) होता है।
आदि: - VI. ii. 64
(यहाँ से आगे जो कुछ कहेंगे, उसके पूर्वपद के) आदि को (उदात्त होता है, यह अधिकार है)।
86
आदि: - VI. ii. 125
(नपुंसकलिङ्ग कन्थाशब्दान्त तत्पुरुष समास में चिहणादिगणपठित शब्दों के) आदि को (उदात्त होता है)। आदिकर्मणि - III. iv. 71
क्रिया के आदि क्षण में विहित (जो क्त प्रत्यय, वह कर्ता में होता है तथा चकार से भाव कर्म में भी होता है)। ... आदिकर्मणोः - I. ii. 21
देखें - भावादिकर्मणोः I. ii. 21
... आदिकर्मणोः
- VII. ii. 17
देखें - भावादिकर्मणोः VII. ii. 17 आदितः - I. ii. 32
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आदुक्
(उस स्वरित गुण वाले अच् के) आदि की (आधी मात्रा उदात्त और शेष अनुदात्त होती है)।
आदित - III. iv. 84
(बू से परे जो लट् लकार, उसके स्थान में परस्मैपदसंज्ञक) आदि के (पाँच आदेशों के स्थान में क्रम से पाँचों हील, अस उस पल अधुस्- आदेश विकल्प से हो जाते है, साथ ही बू धातु को आह आदेश भी हो जाता है)।
आदितः - VII. 1. 16
आकार इत्सञ्ज्ञक धातुओं को (भी निष्ठा परे रहते इट् आगम नहीं होता) ।
... आदित्य ..
IV. i. 85
देखें - दित्यदित्यादित्यo IV. 1. 85 -
आदिनी - VIII. iv. 47
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( आक्रोश गम्यमान हो तो) आदिनी शब्द परे रहते (पुत्र शब्द को द्वित्व नहीं होगा) ।
आदिशि... - III. Iv. 58
देखें - आदिशिग्रहो: III. iv. 58 आदिशियोः - III. Iv. 58
(द्वितीयान्त नाम शब्द उपपद रहते) आङ् पूर्वक दिश् तथा मह धातु से णमुल् प्रत्यय होता है)।
आदुक् - VI. iii. 75
(एक है आदि में जिसके, ऐसे नञ् को भी उत्तरपद परे रहते प्रकृतिभाव होता है तथा एक शब्द को) आदुक् का आगम होता है।