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________________ अकम्पन ( ७ ) वृहत् जैन शब्दार्णव मान् और ५. लम्बूब थ े ॥ ( ६ ) श्रीकृष्णचन्द्र के अनेक पुत्रों में से एक पुत्र ॥ (७) महाभारत युद्ध के समय से पूर्व का एक राजा - इसे एक बार जब युद्ध शत्रुओं ने घेर कर पकड़ लिया तो इसके पुत्र हरि ने, जो बड़ा पराक्रमी और वीर था, छुड़ाया था ॥ (८) विहार प्रान्तस्थ वैशाली नगर के लिच्छवि वंशी राजा 'चेटक' का एक पुत्र - यह हरिवंशी काश्यप कुलोत्पन्न अन्तिम तीर्थङ्कर 'श्री महावीर स्वामी” ( जिनका जन्म सन् ईस्वी के प्रारम्भ से ६१७ वर्ष पूर्व और निर्वाण ५४५* वर्ष पूर्व हुआ) की माता श्रीमती 'प्रिय कारिणी त्रिशला " का लघुभ्राता अर्थात् श्री महावीर का मातुल ( मामा ) था । इसके छह ज्येष्ठ भ्राता १. धनदत्त, २. दत्तभद्र, २. उपेन्द्र, ४. सुदत्त, ५. सिंहभद्र, और ६. सुकम्भोज, और तीन लघुभ्राता १. सुपतङ्ग, २. प्रभञ्जन, और २. प्रभास थे । इसकी ७ बहनें १. प्रियकारिणी त्रिशला, २. मृगावती, ३. सुप्रभा ४ प्रभावती ( शीलवती ), ५. चेलिनी, ६. ज्येष्ठा, और ७. चन्दना थीं। इन ७ बहनों में से पहिली विदेहदेश ( विहार प्रान्त) के कुंडपुराधीश हरिवंशी ( नाथवंश की एक शाखा ) महाराज " सिद्धार्थ " को विवाही गई जिसके गर्भ से श्री महावीर तीर्थङ्कर का जन्म हुआ, दूसरी वत्सदेश के कौशाम्बा नगरा Jain Education International धीश चन्द्रवंशी राजा शतानीक को, तीसरी दशार्ण देश के हर कच्छ नगराधीश सूर्यवंशी राजा दशरथ को चौथी कच्छ देश के रोरुक नगर- नरेश उदयन को और पांचवीं बहन चेलिनी मगधदेश के राजगृही नगराधिपति श्रेणिक ( बिम्बसार ) को विवाही गई थीं। शेष दो बहनें ज्येष्ठा और चन्दना ने विवाह न कराकर और आर्यिका पद में दीक्षित होकर उग्र तपश्चरण किया । अकम्पन ( ६ ) श्री महावीर स्वामी के ११ गणघरों में से अष्टम गणधर - यह सप्तऋद्धिधारी महा मुनि सवा छहसौ शिष्य मुनियों के गुरु ब्राह्मण वर्ण के थे। इनका जन्म सन् ईस्वी के प्रारम्भ से लगभग ६०० वर्ष पूर्व और शरीरोत्सर्ग ७८ वर्ष की वय में हुआ ॥ नोट १ - श्रीमहावीर स्वामी के अष्टम गणधर “श्री अकम्पन" का नाम कहीं कहीं " अकम्पित" और "अकस्पिक" भी लिखा मिलता है । इनके जिनदीक्षा ग्रहण करने से पूर्व ३०० शिष्य थे जिन्होंने अपने गुरु के साथ ही दिगम्बरी दीक्षा धारण की थी ॥ नोट२- श्रीमहावीर तीर्थकर के ११ गणघर निम्नलिखित थे:-- १. इन्द्रभूति गोत्तम २, अग्निभूति ३. वायुभूति ये तीनों गौर्वर ग्राम निवासी वसुभूति (शां डिल्य ) ब्राह्मणकी स्त्री "पृथ्वी" (स्थिंडिला) और "केशरी" के गर्भ से जन्मे । [ आगे देखो शब्द "अग्निभूति (१) " ] ॥ के सम्बन्ध में कुछ ऐतिहासश विद्वानों के पक * श्री महाबीर तीर्थङ्कर के निर्वाण काल | दूसरे के विरुद्ध कई अलग अलग मत हैं जो 'जैन हितैषी', वर्ष ११, अङ्क १, २ के पृष्ठ ४४ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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