SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्द क्रिय ऋद्धि २ क्रिया ५३ क्रिया क्रिया ४८ क्रिया ६८ क्रिया १०८ क्रिया २५ क्रिया ७ क्रियावाद क्रियाविशाल पूर्व क्रीतदोष क्रूर क्रौं क्लीं क्ल क्षायिकभाव क्षायोपशमिक भाव क्षां क्षीं क्षू क्षः क्षीरकदम्ब, नोट २ क्षुभित वारिध क्षेत्रऋद्धि क्षेत्रपाल ४ (श्री ऋषभदेव के) क्षेत्रविपाकी कर्मप्रकृति ४ क्षेत्र लोकोत्तर मान खरकर्म १५ गजकुमार गजपंथा सिद्धक्षेत्र गति गति ४ ख Jain Education International ग शब्द ६७|१| गन्धर्वसेना ५३ १.७०१२,७१११ | गन्धदस्ती महाभाष्य गन्धिनी गर्त्त पूर्ण वृत्ति गर्त्तपूर्णी भिक्षा गर्भज गणधर (श्री ऋषभदेव के ) ८४ गणधर (श्री महावीर के ) ११ गणितसार संग्रह ( ४६ ) पृष्ठ | कालम ७१ । ३ ७१ २ २५३ २ २५४१९ २५४/२ ७६/२ | गर्भज जीव ३ २५४ । १ | गान्धारी २४|१ | गार्ग्य, नोट गिरिनार तीर्थ १२७/२ १४२।२ | गुण २५|२| गुण (द्रव्य के ) २७६ ३६/१ गुणभद्राचार्य ३६/१ गुणयोनि भेद ३६।१ | गुणवत ३ २२५/१ गुण (सम्यग्दृष्टी के ) ६३ गुण (सिद्धों के ) ८, नोट ३ गुणस्थान १४ " ४२/२ १५६१ गोचरी भिक्षावृत्ति ८५११ गोत्रकर्म २०६२ गोम्मटराय (चामुंडराय ) गौत्तम गणधर गौरी ५९/२ २५/२ २१३/२ પૂટાર 1912 ८६।१ પૂર 95 ३६/१ २०८|१ | गुरु मूढ़ता १४।१ ४४।२ गृहीत मिथ्यात्व २४/१,२,२५/१,२०९ / २:२११/१ गोवरी भिक्षा, २७/२ घन, घनांक घनमातृकधारा पृष्ठ | कालम २५/२ १०/१ २५/२ २.८/१ ग्यारह गणधर ( श्री महावीर के ) ग्यारह स्थान चन्दोवा ग्यारह प्रतिमा ग्यारह हेत्वाभास ग्रह ८८ For Personal & Private Use Only घ 19 २७६१२ ५७.२, २७६/२, १६५/२ १२४।१ १६३।१ २४/२ ५५/१ १७/२ १४५।१, २ ५२/२ १४/२ પૃષ્ઠાર २२३/१,२ "3 ८३।१ १८९/१ ७२,६०/२ १६५/२ ७२ ५३/२ ५२/२ २२११२ २५१/२ ७७ १,२ ७८/२ www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy