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________________ (४५ ) प्रहाकालम प्रो १४१ ५१ • १३१२ १६६१ १२१ २४१ २४.१. १४०१ १४१ २५२,१६५/२ पृष्ठ । काळम | शब्द कांक्षा ३६१ काय, नोट १ . ३६१ कायशुद्धि कायोत्सर्ग दोष ३२ कास ॐनमःऋषभाय २९।१ ॐ नमो नेमनाथाय २६२ कार्तिकेय, नोट ॐ श्री ऋषभायनमः कालमास्तिवाद २६१ ॐ श्री नेमनाथाय नमः काल परतः नास्तिवाद २६/२ * हीं अष्टमहाविभूति संशाय नमः २३७।२ काल लोकोत्तरमान औ काल स्वतः नास्तिवाद औदयिक भाव २१ २४।१,२, २२५।१ कुगुरु अनायतन कुगुरु पूजक अनायतन औपशमिकभाव २२५।१ कुणिक औषधि ऋद्धि ८ ५०२ कुंड ४५० क कुथुमि कठ, नोट २४११ कुदेवअनायतन कण्ठी, नोट १२४ार कुदेवपूजक अनायतन । कदलीघात ११२ कुधर्म अनायतन कन्दमूल कुधर्मपूजक अनायतन कपिल, नोट १२४१ करणानुयोग, नोट १२२१२ कणेन्द्रिय विषय ७ कुन्दकुन्दाचार्य २२२११ कुमारपाल कर्मप्रवाद पूर्व १२६/२ कुम्भनऋषि कर्म भूमि २५६१ कुक, नोट ८ कल्की (प्रथम.) १८३।१ कुलभेद कल्की (अन्तिम) १८३।२ कुलमद कल्पकाल ११२।१ कुलाचळ ३०+१२५० कल्पकाल ( अन्यमत) . २१२२ कूट (शिखर) कल्पवासी देवों के भेद ११, नोट कृतिअंक कल्पवृक्ष भेद १० २५६२ कृतिकर्म कल्प व्यवहार १३०१२ कृत्रिम व्यवहार कल्पाकल्प कृष्ण, नोट २ कल्पित तीर्थकर १८२१ | कृष्ण की पटरानियां द कल्याणवाद पूर्व १२००१ | कौत्कल, नोट काकुस्थ चरित १३।१' कौशिक, नोट ४७/२ कुन्ती १२४१ १४१ १४१ १४।१ १४१ ४३३२ ११।१२ १६०१ ५०१२ ५८१ ५७१ १४१ :५७१ १०४१ २०१२ १३०१२ १४८ १२६१ १३१।१ १२४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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