________________
अणुव्रत
( २७५ ) __ वृहत् जैन शब्दार्णव
अणुव्रत - (२) सत्याणुव्रत, या स्थूल असत्य- (२) सत्याणुव्रत की ५ भावना-१. त्याग व्रत ॥
| क्रोध त्याग २. लोभत्याग ३.. भयत्याग ४. ___ (३) अस्तेयाणुव्रत, या. अचौर्याणुव्रत, हास्य त्याग ५. अणुवीचीभाषण ( आगमानुया स्थूल चोरी त्यागवत ॥
| सार बोलना)। ___ (४) ब्रह्मचर्याणुवत, या शीलाणुव्रत, इस व्रत के ५ अतिचार-१. मिथ्योपया स्वदारा सन्तोष या स्वपति सन्तोष | देश २. रहोभ्याख्यान ३. कूटलेखक्रिया ४. ब्रत ॥
न्यासापहार ५. साकारमंत्रभेद । ___ (५) परिग्रह त्यागाणवत, या परिग्रह (३) अस्तेयाणुव्रत की ५ भावना-- परिमाणवत या अनावश्यक परिग्रह १. शून्यागार वास २. विमोचितावास ३. त्यागवत, या अल्पपरिग्रह-सन्तोषव्रत, या अपरोपरोधाकरण ४. आहार शुद्धि ५. सध. नियमिन-परिग्रह-सन्तोषव्रत ॥ । विसंवाद ।
नोट १-इन पांचों अणुव्रतों को सुर- इस व्रत के ५ अतिचार-१. चौरप्रयोग क्षित रखने और निर्दोष पालन करने के लिये | २. चौरार्थदान या चौराहतग्रह ३. विरुद्धरानिम्न लिखित संप्त शील पालन करना और ज्यातिक्रम ४. हीनाधिक मानोन्मान ५. प्रतिप्रत्येक व्रत की पांच पांच भावनाओं पर य- रूपक व्यवार । थोचित ध्यान देना तथा पंचाणुव्रतों और (४) ब्रह्मचर्याणुव्रत की ५ भावना--- सप्तशील में से प्रत्येक के पांच पांचे मुख्य | १. अन्य स्त्री ( या अन्य पुरुष) राग कथा और अन्यान्य गौण अतिचारों से बचना श्रवण त्याग २.पर स्त्री(यापरपुरुष)तन-मनोहभी परमोपयोगी है:
रांग निरीक्षण त्याग ३. पूर्वरतानुस्मरणत्याग १. सप्तशील (३ गुणवत+४ शिक्षा- ४. वृष्येष्ट रस त्याग ५. स्वशरीरातिसंस्कार व्रत )-(१) दिग्वत (२) अनर्थदण्डत्यागवत त्याग । (३) भोगोपभोग परिमाणवत; (४) देशा- इस व्रत के ५ अतिचार-१. पर वकाशिक (५) सामायिक (६) प्रोषधोप- विवाहकरण २. इत्त्वरिका-परिगृहीतागमन ३. वास (७) अतिथि संविभाग।
इत्त्वरिका अपरिगृहीतागमन ४. भनङ्ग क्रीड़ा ३. पांचों अणुव्रतोंकी पांच २ भावना ५. कामतीव्राभिनिवेश । और उनके पांच २ मुख्य अतिचार निम्नोक्त (५) परिग्रहत्यागाणवतको ५ भाषना
१. स्पर्शनेन्द्रिय विषयातिरागद्वष त्याग। (१) अहिंसाणुव्रत को ५ भावना-- २. रसनेन्द्रिय विषयातिराग त्याग । १. मनोगुप्ति २. बचनगुप्ति ३. ईर्या समिति | ३. घाणेन्द्रिय विषयातिरागद्वष त्याग । ४. आदान निक्षेपण समिति ५. आलोकित | ४. चक्ष रेन्द्रिय विषयाति राग द्वष त्याग। पान भोजन ।
५. श्रोत्रेन्द्रिय विषयाति राग द्वेष त्यामः। ___ • अहिंसाणुव्रत के ५ अतिचार-१. वध इस व्रत के ५ अतिचार२. बन्धन ३. छेद ४. अति भारारोपण ५. अ- १.-वास्तुक्षेत्रातिकमा न्नपान निरोघ। .........
२. धनधान्यातिकमा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org