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________________ अढाईद्वीप पाठ क्रमसं०, विदेह देश १७. पद्मा १८. सुपद्मा १६. महापद्मा २०. पद्मावती २१. शंखा २२. नलिनी २३. कुमुदा २४. सरिता ( नलिनावती) वप्रा २५. २६. सुचप्रा २७. महावप्रा २८. वप्रकावती ( प्रभावती) गन्धा (वल्गु ) २६. ३०. सुगन्धा (सुबलगु) ३१. गन्धिला ३२. धमालिनी (गन्धलावती) Jain Education International ( २६२ ). वृहत् जैन शब्दार्णव राजधानी अश्वपुरी सिंहपुरी महापुरी विजयपुरी अरजा विरजा अशोका बीतशोका विजया वैजयन्ती जयन्ता अपराजिता चक्रपुरी खड्गपुरी अयोध्या अवध्यो विवरण अढाईद्वीप पाठ यह आठ देश सुदर्शनमेरु की पश्चिम दिशा में सीतोदानदी की दक्षिण और मेरु के निकट के भद्रशाल बन की वेदी से लवणसमुद्र के निकट के देवारण्यवन की वेदी तक क्रम से पूर्व से पश्चिम को हैं ॥ इन पद्मा आदि देशोंकी पारस्परिक सीमा बनाने वाले श्रद्धावान, विजटावान, आशीविष, सुखावद, यह ४ वक्षारगिरि और क्षीरोदा, सीतोदा, श्रोतोबाहिनी यह तीन विभंगा नदी हैं जो गिरि, नदी, गिरि, नदी इस क्रम से बीच बीच में पड़ते हैं ॥ यह आठ देश सुदर्शनमेरु की पश्चिम दिशा में सीतोदानदी की उत्तर और लवण समुद्र के निकट के देवारण्यबन की वेदी से मेरु के निकट के भद्रशालबन की वेदी तक क्रम से पश्चिम से पूर्व को हैं । इन वप्रा आदि देशों का पारस्परिक वि भाग करने वाले चन्द्रमाल, सूर्यमाल, नागमाल, देवमाल, यह ४ वक्षारपर्वत और गम्भीरमालिनी, फेनमालिनी, ऊर्मिमालिनी, यह ३ विभंगानदी इनके बीच सीमा पर एक गिरि, एक नदी, एक गिरि, एक नदी, इस क्रम से बीच बीच में पड़ते हैं । यह पद्मा आदि १६ विदेह देश मेरुकी पश्चिम दिशामें होनेसे "पश्चिम विदेहदेश” कहलाते हैं ॥ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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