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( २१० ) | अज्ञानवाद वृहत् जैन शब्दार्णव
अज्ञानवाद । (१-७) जीव पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- . २. शुद्ध पदार्थ नास्ति अज्ञान,
१.जीवास्ति अशान, २. जीव-नास्ति- ३. शुद्ध पदार्थास्ति नास्ति अशान, अज्ञान, ३. जीवास्ति-नास्ति अज्ञान, ४. शुद्धपदार्थ अवक्तव्य अज्ञान | ४. जीव अवक्तव्य अज्ञान, ५. जीवा- नोट?--जीव पदार्थ के (१) औपस्ति अवक्तव्य अज्ञान, ६.जीव-नास्ति | शमिक, (२) क्षायिक, ( ३) क्षायोपशमिक अवक्तव्य भज्ञान, ७. जीवास्ति | मिश्र, (४) औदयिक, (५) पारिणामिक, मास्ति-अवक्तव्य अज्ञान,
यह ५ भाव हैं । (८-१४) अंजीव पदार्थ सम्बन्धी भङ्ग
इन पांचों भावों में से औयिक भाव १अजीवास्ति अशान,२अजीव-नास्ति के 'देवगतिजन्यभाव' आदि २१ भेद हैं। अशान, इत्यादि 'अजीवास्ति नास्ति इन २१ भेदों में से १२वां भेद 'मिथ्या
अवक्तव्य अज्ञान' पर्यन्त सातों | त्वजन्य भाव' है जिस के (२) गृहीत मिथ्या(१५-२१) आस्रव पदार्थ सम्बन्धी भंग- | त्वजन्य भाव, और (३) अगृहीत मिथ्यात्व
१. आस्रवास्ति अज्ञान, इत्यादि जन्य भाव, यह दो मूल भेद हैं। सातो भंग;
'मिथ्यात्व जत्य भाव' के इन दो मूळ (२२-२८ ) बन्ध पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- भेदों में से पहिले 'गृहीत मिथ्यात्वजन्य भाव'
१. बंधास्ति अज्ञान, इत्यादि | की (१) एकान्त मिथ्यात्व, (२) विपरीत सातो भंग;
मिथ्यात्व, (३) विनय मिथ्यात्व, (४) (२९-३५ ) संवर पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- संशय मिथ्यात्व, और (५) अज्ञान मिथ्या
१. संवरास्ति अज्ञान, इत्यादि त्व, यह ५ शाखा हैं। सातो भंग;
गृहीत मिथ्यात्व की इन ५ शाखाओं १६-४२ ) निर्जरा पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- | में से पहिलो शाखा 'एकान्त मिथ्यात्य' के अ... १. निर्जरास्ति अज्ञान, इत्यादि (१) क्रियावाद १८०, (२) अक्रियावाद ८४, सातो भंग;
| ( ३) अज्ञानवाद ६७, और ( ४ ) बैन(४३-४९ ) मोक्ष पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- यिकवाद ३२,यह ४ अङ्ग और ३६३ उपाङ्ग
१. मोक्षास्ति अज्ञान, इत्यादि हैं। [ पीछे देखो पृ० २४,२५,१२३, १२४ पर सातो भंग;
शब्द 'अक्रियावाद' और 'अङ्गप्रविष्ट श्रुत(५०-५६) पुण्य पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- शान' के अन्तर्गत (१२) दृष्टिवादांग (२) . . १. पुण्यास्ति अज्ञान, इत्यादि 'सूत्र' उपांग की व्याख्या नोटों सहित ] सातो भंग;
नोट २--जिन अपने प्रतिपक्षी को (५७-६३) पाप पदार्थ सम्बन्धी भंग ७- के उपशमादि होने पर उत्पन्न हुए भावों कर
१. पापास्ति अक्षान, इत्यादि जीव पदार्थ पहचाना जाय उन भावों की सातो भंग;
संज्ञा 'गुण' भी है। (६४-६७) शुद्ध पदार्थ सम्बन्धी भंग- - नोट ३-तत्वश्रद्धानाभाव रूप मिथ्या
. : १. शुद्ध पदार्थास्ति अज्ञान, । त्व को जो बिना किसीका उपदेशादि निमित्त
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