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________________ ( १८८ ) अजितसेन-आचार्य वृहत् जैन शब्दार्णव अजितलेन-आचार्य 'ऐरादेवी' के गर्भ से १६वें तीर्थङ्कर 'श्री | (३) कौडिन्य गोत्री ब्राह्मण बेन्नाशान्तिनाथ' उत्पन्न हुए । ( शान्तिनाथ- मय्य का पुत्र एक प्रसिद्ध कर्णाटक जैनपुराण)॥ कवि 'नागवर्म' जो 'छन्दाम्धुधि' और (देखो ग्र० वृ० वि० च०) 'कादम्बरी' आदि कई ग्रन्थों का रचयिता (२) जम्बूद्वीपस्थ ऐरावतक्षेत्र के वर्त- था। (क० १%)॥ मान अवसर्पिणी के ६वें तीर्थङ्कर कानाम । (४) दक्षिण मथुरा ( मदुरा) का (अ. मा. अजियसेण )॥ गंगवंशी महाराजा'गचमल' जिसका मंत्री (३) स्वेताम्बरी अन्तगड़ सूत्र' के ती. और गुरुभ्राता प्रसिद्ध कवि चामुण्डराय सरे वर्ग के तीसरे अध्याय का नाम ( अ. था । (क० १७)॥ (५) महाराजा राचमल्ल'का मंत्री मा. अजियसेण)॥ ___ (४) भद्दलपुर निवासी नाग गाथा. सेनापति 'चामुण्डराय' जो श्री गोम्मटसार पति की स्त्री 'सुलसा' का पुत्र जिसने नामक सुप्रसिद्ध सिद्धान्त ग्रन्थ की रचना श्री नेमनाथ से दीक्षा लेकर और २० वर्ष का प्रेरक और उस की कर्णाटक वृत्ति तक प्रवज्या पालन करके शझुंजय पहाड़ का कर्ता तथा 'त्रिषष्टिलक्षण-महापुराण'. पर से एक मासका संथारा कर निर्वाणपद (चामुण्डराय पुराण ) और 'चारित्रसार' पाया। (अ. मा. अजिय सेण ) ॥ आदि का भी रचयिता था । (क० १७) । देखो शब्द "अण्ण' और 'चामुण्डभजितसेन-प्राचार्य-यह नन्दिसंघ के राय' ॥ श्री सिंहनन्दी आचार्य के शिष्य और | ____ यह 'श्री अजितसेनाचार्य' उपयुक्त देशीय गण में प्रधान एक सुप्रसिद्ध दिग- | सिद्धान्त प्रन्थ श्री गोम्मटसार' अपर नाम स्बराचार्य थे जो विकूम की ११वीं शता 'पञ्चसंग्रह' के कर्ता 'श्री नेमिचन्द्र-सिद्धांत ब्दी में विद्यमान थे । श्री आर्यसेन मुनि चक्रवर्ती के समकालीन थे । यह सिद्धान्त इन आचार्य के विद्या-गुरु थे॥ शास्त्रों के पारगामी महान् आचार्य श्री ___निम्न लिखित सुप्रसिद्ध पुरुष इन | नेमचन्द्र स्वरचित गोम्मटसार' ग्रन्थ के ही श्री अजितसेनाचार्य के मुरय शिष्य • पूर्व भाग 'जीवकांड' की अन्तिम गाथा थेः ७३३ में, और उत्तर भाग 'कर्मकांड' की (१) मलधारिन पदवीधारक 'श्री म- प्रशस्ति सम्बन्धी गा० ६६६ में अपने अल्लिषेणाचार्य' जो विक्रम सं० १०५० की | न्यतम शिप्य चामुण्डराय को आशीर्वाद फाल्गुन ३० ३ को श्रवण बेलशुल में (मै- देते हुए इन ही 'श्री अजितसेनाचार्य' क सूर राज्य में) समाधिस्थ हुए थे । ( विद्व० जिन श्रेष्ठ माननीय शब्दों में स्मरण करते पृ० १५४-१५८)॥ (२) कर्णाटक देशीय सुप्रसिद्ध कविरत्न 'रन्न' जिसने कनड़ी भाषा में अजित- समूह संधारि अजियसेव गुरू । पुराण नामक ग्रन्थ रचा । (देखो शब्द भुवणगुरू जस्स गुरू . अजितपुराण')॥ सो रामो गोम्मटो जय ॥७३३॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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