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________________ (. १६८ ) अजातशत्रु वृहत् जैन शब्दार्णव अजातशत्र 'रिपंजय' मगध का राजा था तो इसे इसके | नन्द *अर्थत् नवीन या दूसरा महानन्द (नन्दमंत्री 'शुनकदेव' ने वि० सं० से ६७७ वर्ष पूर्व महापद्म) और सुभाल्य (सुकल्प) आदि उस मार कर अपने पुत्र प्रद्योतन को मगध का | के कई पुत्रों के अधिकार में ६१ वर्ष रहा।। राना बना दिया । इस वंश में वि० सं० के | पश्चात् महाराजा चन्द्रगुत से वृहद्रथ तक! ६७७ वर्ष पूर्व से ५८५ वर्ष पूर्वतक ६२ वर्ष में | १० मौर्यवंशी राजाओं के अधिकार में रह प्रद्योतन, पालक, विशावयूप, जनक और कर मगध का राज्य शुङ्गवंशी पुष्पमित्र को नन्दिवर्द्धन, इन. ५ राजाओं के पश्चात् मिला। इस वंश के ११ राजाओं ने ११२ वर्ष 'शिशुनाग' नामक ऐसा वीर, प्रतापी और | तक राज्य किया । ( पीछे देखो शब्द 'अग्निलोकप्रिय राजा हुआ कि आगे को यह मित्र' और उसके नोट १, २ ) ॥ वंश इसी के नाम पर 'शिशुनागवंश' नाम | नोट ६.- जरोसन्ध' के समय में मसे प्रसिद्ध हो गया । शिशुनाग वंश में गध की राजधानी गिरिज' नगरी थी जिसे (१) शिशुनाग (२) काकवर्ण या शाकपर्ण बदल कर श्रेणिक ने अपनी नवीन बसाई (३) क्षेमधर्मण (४) क्षत्रीज (क्षेमजित, क्षेत्रज्ञ | नगरी राजगृही को, फिर उसके पुत्र अजातक्षेमार्च या उपक्षेणिक ) (५) श्रेणिक बिम्ब- शत्रु ने चम्पापुरी और राजगृही दोनों को, सार (विन्ध्यसार, बिन्दुसार या विधिसार) पश्चात् 'उदयाश्व' ने (किसी २'की सम्मति (६) कुणिक अजातशत्र (७) दरभक ( दर्शक, में 'अजातशत्रु' ही में ) पाटलीपुत्र (पटना) हर्षक, या वंशक ) () उदयाश्व ( उदासी, को राजधानी बमाया ॥ अजय, उदायी, या उदयभद्रक ) (5) नन्दि- नोट ७.-मत्मपुराण, वायुपुराण, वचन ( अनुरुद्धक या मुंड) (१०) महानन्दि, विष्णुपुराण, ब्रह्मांडपुराण, भागवत, आदि यह १० राजा वि० सं० के ५८५ वर्ष पूर्व से | पुराणों तथा अन्यान्य ऐतिहासज्ञों के लेखों ४२३ वर्ष पूर्व तक १६२ वर्ष में हुए । | में मगधदेश के राजाओं के नाम, गणना, नोट ५.-मगध का राज्य शिशुनाग- समय और शासनकाल आदि के सम्बन्ध में घंशी अन्तिम राजा 'महानन्दि' के हाथ से परस्पर बहुत कुछ मत भेद पाया जाता है। निकल कर और कई भिन्न २ देशीय अज्ञात उपरोक्त नोट ४ और ५ का सारांश राजाओं के अधिकार में ६४ वर्ष रह कर नव- | अगले पृष्ठ के कोष्ट से देखेंः MEAalamma * नव शब्द का अर्थ नवीन और नव की संख्या अर्थात् ६, यह दोनों हैं। अतः पाई ऐतिहासज्ञों ने दूसरा अर्थ मान कर लिया है कि नव-नन्द अर्थात् 'नन्दमहापद्म' (महानन्द) और उसके नन्द नाम से प्रसिद्ध - पुत्रों, एवं सर्वनन्द ने ९१ वर्ष तक मगध का राज्य किया। किसी किसी ने शिशुनागवंशी अन्तिम राजा महानन्दि के पश्चात् होने वाले कई अशात नाम वाले राजाओं का राज्यकाल ६४ वर्ष नन्दवंश के राज्यकाल ९१ वर्ष में जोड़ कर नन्दवंश का ही राज्यकाल १५५ वर्ष लिखा है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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