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________________ श्रजातशत्रु ( १६७ ) वृहत् जैन शब्दार्णव उत्पन्न हुआ था ॥ नोट १ -- महाराजा 'श्र ेणिक बिम्बसार' ने अपनी कुमार अवस्था में एक बौद्ध श्रमण के उपदेश से बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था परन्तु राजगद्दी पर बैठने और महारानी बेलिनी के साथ विवाह होने के कुछ समय पश्चात् इन्हों ने महारानी चेलिनी के अनेक उपायों द्वारा पैतृकधर्म अर्थात् जैनधर्म को फिर स्वीकृत कर लिया जिस पर इनकी इतनी दृढ़ अचल और गाढ़ श्रद्धा हो गई थी कि यह अन्तिम तीर्थंकर श्री 'महावीर वद्धमान' की धर्मसभा मुख्य श्रोता या 'श्रोता श्रीमणि' माने जाते थे । और राज्य प्रबंध का बहुभाग अपने पुत्रों और मंत्रियों पर छोड़ कर अपना अधिक समय धर्मोपदेश सुनने या तत्व विचार में व्यय करते थे। 'अजातशत्रु' अपनी वीरता और विद्वता के घमंड में अपने अन्य भ्रोताओं को तिरस्कार की वृद्धि से देखता हुआ और शीघ्र से शीघ्र पूर्ण राज्याधिकार पाने की लोलुस्ता में ग्रसित रह कर अपने धर्म कर्म से सर्वथा विमुख था । उपयुक्त देवदत्त ब्रह्मचारी गृहत्यागी की सहायता से उसी के रचे षडयंत्र द्वारा अपने अन्य भाइयों के विरक्त होकर गृहत्यागी होजाने पर इसने राज्य प्राप्त किया था । अतः यह देवदत्त का बड़ा कृतज्ञ था । देवदत्त जैनधर्म और बौद्धधर्म दोनों ही से हार्दिक द्रोह रखता था । इसी लिये इसी के | प्रभाव से दब कर 'अजातशत्रु' ने अपने पैतृकधर्म जैनधर्म को त्याग कर वैदिक धर्म ग्रहण कर लिया था और इसी कारण देवदत्त के कहने में आकर पिता को कारागृह में डाला था । नोट २ - महाराजा श्रेणिक की निम्न Jain Education International अजातशत्र लिखित तीन रानियां थीं :-- (१) नन्दी - घेणपद्म नगर निवासी सेठ इन्द्रदन्त की पुत्री जिसके गर्भ से 'अभयकुमार' का जन्म हुआ ॥ (२)वेलिनी - वैशाली नगराधीश राजा बेटक की पुत्री जिसके गर्भ से उपर्युक्त 'कुणिक अजातशत्र' आदि ७ पुत्र उत्पन्न हुए | [ पीछे देखो शब्द 'अकम्पन' (८) ] ॥ (३) विलासवती (तिलकावती) – केरल नरेश मृगांक की पुत्री। इस के गर्भ से एक 'पद्मावती' नाम की पुत्री जन्मी थी ॥ नोट ३ – 'अजातशत्रु' की माता 'चेलिनी' की गणना १६ प्रसिद्ध सतियों अर्थात् विदुषी, शीलवती और पतिव्रत-परायण स्त्रियों में की जाती है जिनके नाम यह हैं:-- ( १ ) ब्राह्मी ( २ ) सुन्दरी या शीलवती (३) कौशल्या ( ४ ) सीता ( ५ ) कुन्ती ( ६ ) द्रौपदी (७) राजमती या राजुल (=) चन्दना या चन्दनबाला ( ६ ) सुभद्रा ( १० ) शिव देवी ( ११ ) वेलिनी या चूला ( १२ ) पद्मावती (१३) मृगावती ( १४ ) सुलसा ( १५ ) दमयन्ती ( १६ ) प्रभावती ॥ शुद्ध मन बचन काय से पातिव्रत्य पालन करने में यद्यपि अञ्जना सुन्दरी, मैले सुन्दरी, रयनमंजूरा, विशल्या, मनोरमा आदि अनेक अन्य स्त्रियां भी पुराणप्रसिद्ध हैं परन्तु १६ की गणना में उनका नाम नहीं गिनाया गया है ॥ नोट ४ --मगध को गद्दी पर शिशुनाग वंशियों के राज्याधिकार पाने का सम्बन्ध और उसका प्रारम्भ निम्न प्रकार है: महाभारत युद्ध में चन्द्रवंशी मगधनरेश 'जरासन्ध' के श्री कृष्ण के हाथ से मारे जाने के पश्चात् जब 'जरासन्ध' का अन्तिम वंशज For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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