SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १७ ) मंज--बस यही कि वह बड़ा होनहार है। मुमकिन है कि किसी वक्त सल्तनत का दावेदार बन कर मुकाबिले के लिये तैयार हो जाय । मेरे लिये यह क्या कुछ कम खार है ? वत्सराज महाराज, वह तो अभी महज़ एक तिम्ले नातजुरबेकार है । उस के पास न ! कोई लश्करेजर्रार है और न उस का कोई हामी व मददगार है। फिर आप का दिल इतना क्यों बेक़रार है ?...... (४) भोज ( वत्सराज के हाथ में नंगी तलवार देख कर )--अरे अरे मरदूद ! यह ___ क्या गुस्ताखी है । क्या तेरी अक्ल में कुछ फितूर है ? वत्सराज--(अफसोसनाक लहजे में )--हुज़र ! यह नमकण्वार महज़ बेकसूर है। __ राजा के हुक्म से मजबर है। भोज--क्यों, राजा को क्या मंजूर है ? वत्सराज-- आप को होनहार पाकर राजा का दिल बदी से भरपूर है। आप को कत्ल कराना चाहते हैं । इसी में उनकी तबीअत को सुरूर है। भोज (कमाल इस्तिकलाल व तहम्मुल से)--हीं अगर हमारे चचा साहिय को यही मंजूर है तो फिलहक़ीक़त तू बेक़सूर है । मुंशिये फ़ज़ा व कद्र ने कलमे कदरत से जिस के सुफ़हए पेशानी में जो कुछ लिख दिया है उसी का यह सब ज़हर है। उसका मिटाना इमकानेवशरी तो क्या, फ़रिश्तों की ताकत से भी दूर है । इसलिये अय वत्सराज जो कुछ फ़रमानेशाही है उसका बजा लाना ही इस व.क तुम्हारे लिये पुर ज़रूर है।...... (ग) हनुमानचरित्र नॉविल ( उर्द) से-- (१) इस मुकाम का सीन इस वक्त. देखने वालों की नज़र को बहिश्त का धोखा दे रहा है । वह देखिये ना, मन्दिरों में लोगबाग कैसी भक्ति और प्रेम के साथ पाको साफ अशयाय हश्तगाना ( अष्टद्रव्य ) से भगवत्पूजन में मसरूफ़ हैं। कोई आवेमुकत्तर और गंगाजल नुकरई व तिलाई झारियों में लिये हुए संस्कृत नाम में (पद्य में ) बुलंद आवाज़ से अजीब दिलकश लहजे के साथ परमात्मा की स्तुति करते हुए प्रार्थना कर रहे हैं कि "अय परमात्मा ! आप हमारे नापाक दिलों को वैसा ही पाक और पवित्र कीजिये जैसा यह जल पाक व शफाफ है।" कोई मलियागिरि सन्दल सुफे.द......। (२) मेघपुर के बाहर एक वसीअ मैदान में जहां थोड़ी देर पहिले सन्नाटा छाया हुआ था अब गज़ब ही का हैबतनाक सीन नज़र आ रहा है । एक जानिब राक्षसों की फौज के दल के दल छाये पड़े हैं जिनके बक़सिफत घोड़ों की रग रग में भरी हुई तेज़ी उन्हें चुपचाप नहीं खड़ा होने देती । बेचैन होहो कर उछलते कूदते और कनौतियां बदल रहे हैं। मस्त हाथियों की कतारें दुश्मनों को अपने एक ही रेले में रौंद डालने और उन की जानों का खातमा करने के इन्तिजार में खड़ी हैं जिन पर मेज़ाबरदार बैठे हुए अपने जाँ सिताँ नेजे और ख बहा भाले हवा में चमका रहे हैं । सुबह के आफ़ताब की तिरछी किरने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016108
Book TitleHindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorB L Jain
PublisherB L Jain
Publication Year1925
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy