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३५३७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, जिनगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि-श्री जिनराज
चरण शरणं... गा. ६', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (४४) ३५३८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, जिनवाणी पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-सुनियै रे प्राणी जिनजी की वाणी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०,जिनागम गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि
श्रुत अतिहि भलो... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि, मु., बृहत्स्तवनावली, पृ. १८० ३५४०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, दादा त्रय स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-श्री जिनदत्त... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७३ ३५४१. क्षमाकल्याण उ० / अमृतधर्म उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९,
'आदि-राज श्री जिनदत्तसूरि... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४७ ३५४२. क्षमाकल्याण उ० / अमृतधर्म उ०, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९,
'आदि-सद्गुरु का ध्यान... गा. ६', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.४७ ३५४३. क्षमाकल्याण / अमृतधर्म उ०, जिनलाभसूरि निर्वाण गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-देस सकल सिर सोभतो... गा. ८', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. २९६ ३५४४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नवपद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदि
तीरथ नायक जिनवरु रे... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (१२) ३५४५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, आदि-प्रह सम प्रणमौ नेमिनाथ... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-ऐसे श्याम सलूने खेलत नेमकुमार... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-जगपति नेमि जिणंद प्रभु म्हारा... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलपि ३५४८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६२
गिरनार, 'आदि-श्री नेमीश्वर वंदीयै रे... गा. १३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५४९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-श्री नेमीसर साहिबा जी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, नेमि जिन स्तवन (गिरनार), गीत स्तवन, राजस्थानी,
१८५४, 'आदि-श्री यादवकुल मंडण स्वामी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पञ्चतीर्थी नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-सिद्धाचल श्री नाभिराय... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पद्मनाभ जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-प्रथम महेसर पदमनाभ... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि
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