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३५२२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-मनमोहन जग जीवननाथ... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-श्री जिनराज चरण सरणं... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन,
राजस्थानी. १८६६.'आदि-अविकल कल इक्ष्वाक... गा.१५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (शत्रुञ्जय), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १८५४, 'आदि-आदि पुरुष अलवेसरु... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१८६०, 'आदि-ऋषभ जिनेसर देव नमूं... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-जिनराज नाम तेरा... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५२८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, आदि
प्रात: ऊठी समरीय... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० ३५२९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभजिन प्रतिष्ठा स्त. देवीकोट, गीत स्तवन,
राजस्थानी, १८६०. देवीकोट, अ. ३५३०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, ऋषभ जिन स्तवन (सिद्धाचल), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १८६६, आदि-श्री आदीश्वर साहिब सेवियै... गा. १४', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, गुरुदेव स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-सद्गुरु ने पकड़ी... गा. ३', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ४९३ ३५३२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, गुरुवन्दन ३२ दोष सज्झाय, गीत स्तवन, राजस्थानी, . हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३५३३. क्षमाकल्याणोषाध्याय / अमृतधर्म उ०, चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
. १८५६ नागपुर, 'आदि-जय जय जिनवर आदिदेव..., अन्त–सय अठार छप्पन समय...',
अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३०३६० (१२) ३५३४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चतुर्विंशति जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-तीरथपति त्रिभुवन सुखदाई... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५३५, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी,
'आदि-चिंतामणि सामी में हुं दास... गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२०५) ३५३६. क्षमाकल्याण / अमृतधर्म उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
___ 'आदि-श्री वधमान जिनेसरु... गा. ११', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २३५
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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