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३५५३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-पुरिसादाणीय पासनाह... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, आदि-श्री सेढीतट मेरुधाम... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (अंतरीक), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १८५५, 'आदि-अंतरीक अचल अरिहंता... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७,
'आदि-आज हमारे हरख बधाई... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( मंडोवर), गीत स्तवन, राजस्थानी,
१८६७, आदि-आतम संपत्ति अधिपति रे... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५५८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सहसफणा), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-चिंतामणि स्वामी मैं हुं दास तुम्हारा... गा. ५', अ., ह. विनय.
प्रतिलिपि ३५५९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-चेतन चेतना संभारु... गा. ६', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४,
'आदि-जयकारी जिनराय पुरसादांणी रे... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-जगगुरु श्री गौडीपुर मण्डण... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-जय जय परम पुरुष परमेसरु... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
- 'आदि-जय जय श्री जिनराज... गा. ११', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सहसफणा), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १८२७, आदि-जय त्रिभुवन स्वामी सहसफणा... गा.९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (जीरावला), गीत स्तवन,
राजस्थानी, १९वीं, आदि-जीरावलै जिनराजजी ललना... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५६६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,
'आदि-त्रिभुवनपति त्रेवीसमा हो जी... गा. ५', अ., ह. विनय संग्रह ३५६७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (स्तंभन ), गीत स्तवन, राजस्थानी,
१९वीं, 'आदि-थंभण पास जुहारिये रे लो... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि
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