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२४९८. वैराग्यशतक (भर्तृहरि ) टीका सर्वार्थसिद्धि मणिमाला, जिनसमुद्रसूरि / बेगड़
जिनचन्द्रसूरि, काव्य, राजस्थानी, १७४०, 'आदि-नमः श्रीवर्द्धमानाय...', अ., ह.
कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०१३६, अभय ग्र., बीकानेर २४९९. वैराग्यशतक (भर्तृहरि ) स्तबक, रामविजयोपाध्याय / दयासिंह उ०, काव्य, राजस्थानी,
१७८८ सोजत, 'अन्त-रूपचंद्र पाठक रच्यो रासो गाह आरत्थ...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान
भं., जयपुर, अभय ग्र., बीकानेर २५००. वैश्रवण कथा, संघतिलकसूरि / गुणशेखरसूरि रुद्रपल्लीय, कथा, संस्कृत, १५वीं, अ., ह.
सकलचन्द्रसूरि-पार्श्वचन्द्रगच्छ ज्ञान भं., खम्भात २५०१. व्यवस्थाकुलक, जिनचन्द्रसूरि / जिनदत्तसूरि, विधि, प्राकृत, १३वीं, 'आदि-पणमिय वीरं
पणयंकगि..., अन्त–एवं जिणदत्तणं करेइ... गा. ६२', मु., सिरिपयरणसंदोह २५०२. व्यवस्थाकुलक हिन्दी अनुवाद, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, विधि, हिन्दी,
___ २१वीं, मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा ब्रदर्स, कलकत्ता २५०३. व्यवहारकुलक, जिनचन्द्रसूरि / जिनदत्तसूरि, उपदेश, प्राकृत, १३वीं, ‘अन्त-संखेवेण
मिहुत्तमागममयं...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २५०४. व्यवहारसूत्र अर्थ, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ.,
स्वकृत निशीथसूत्र अर्थ २५०५. व्याकरणकठिनशब्दवृत्तिः, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमल उ०, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं,
. अ., ह. बड़ा भं., बीकानेर २५०६. व्याख्यान - अक्षयतृतीयाव्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म, व्याख्यान, संस्कृत,
१९वीं, 'आदि-प्रणिपत्य प्रभुं पार्श्व ..., अन्त–अक्षयादितृतीयाया व्याख्यानं...', मु., सुमति
कार्यालय कोटा, सम्पादक - म० विनयसागर २५०७. व्याख्यान - अक्षयतृतीयाव्याख्यान भाषा, चारित्रसागर /सुमतिवर्द्धन, व्याख्यान, राजस्थानी,
. १९०९, अ., ह. बद्रीदास सं., कलकत्ता २५०८. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, व्याख्यान, . संस्कृत, १८६० जैसलमेर, आदि-शांतीशं शांतिकतर..., अन्त–संवद्वयोमरसाष्टरात्रिप्रमिते....
मु., सुमति कार्यालय, कोटा, सम्पादक - म. विनयसागर, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २५०९. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान, नन्दलाल पाठक, व्याख्यान, संस्कृत, १७६९, अ., ह.
___ दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, अभय ग्र., बीकानेर, हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २५१०. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान भाषा, आनन्दवल्लभगणि / रामचन्द्रगणि, व्याख्यान,
हिन्दी, १८७३, अ., ह. जैनभवन, कलकत्ता २५११. व्याख्यान - अष्टाह्निकाव्याख्यान भाषा, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, व्याख्यान,
हिन्दी, १९४९, अ., खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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