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________________ २४८४. वैदर्भी चौपई, अभयसोमगणि / सोमसुन्दर उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७११, 'आदि पास जिणेसर परगडो..., अन्त–संवत सत्तर अग्यारोतरइजीरे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४१२८, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. १४३ २४८५. वैदर्भी चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७१३ जयतारण, 'आदि-सानिधि. जस कवि सा सगति..., अन्त–वैदरभी कुखि सीपमोनाहम...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रामलालजी संग्रह, बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४१४८ २४८६. वैद्यक ग्रन्थ, दीपचन्द्रोपाध्याय / दयातिलक, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर २४८७. वैद्यदीपक, म० ऋद्धिसार / कुशलनिधान उ०, आयुर्वेद, हिन्दी, २०वीं, मु., रामलालगणि बीकानेर २४८८. वैद्यविरहिणी प्रबन्ध, उदयराज / भद्रसार भावहर्षीय, आयुर्वेद, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४८९. वैद्यहुलास तिब्बसहावी भाषा, मलूकचन्द, आयुर्वेद, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-नक्षत्र देव चित धन धर..., अन्त–वैद्य हुलास जु नाम धरी...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १५४६ २४९०. वैर रास, जयसागरोपाध्याय / जिनराजसूरि, रास चौपई, अपभ्रंश, १४९०, अ., ह. जयचन्द्र संग्रह, बीकानेर २४९१. वैराग्यधनदशतकम्, धनदराज मन्त्री / देहड़, काव्य, संस्कृत, १४९० मण्डपदुर्ग, 'आदि सिद्धौ व्योम्नो द्वितीयस्तदुदितमरुतः..., अन्त–इत्यङ्गेषु स्थिरेषु प्रभवदुरुशमः...', मु., काव्यमाला तेरहवाँ गुच्छक २४९२. वैराग्यशतकम्, पद्मानन्द / धनदेव, काव्य, संस्कृत, १२वीं नागौर, 'आदि-त्रैलोक्यं युगपत्कराम्बुजलु..., अन्त-सिक्तः श्रीजिनवल्लभस्य सुगुरोः...'; मु., काव्यमाला सप्तम गुच्छक २४९३. वैराग्यशतकम् हिन्दी अनुवाद, पद्मानन्द / धनदेव, अनुवादक - विनोदश्री, काव्य, संस्कृत, २१वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि २४९४. वैराग्यशतकम्, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, काव्य, संस्कृत, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर २४९५. वैराग्यशतक टीका, क्षेमचन्द्र, उपदेश, संस्कृत, १८वीं-१९वीं, 'अन्त–वीरं वारिधि गंभीरं..., अ., ह. खररतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर २४९६. वैराग्यशतक टीका, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, उपदेश, संस्कृत, १६४७, 'आदि प्रणम्य श्रीधरं पार्श्व..., अन्त-श्रीगुरुखरतरगच्छे... गा. ९९५', मु., सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद २४९७. वैराग्यशतक टीका, ज्ञानसागरोपाध्याय / क्षमालाभगणि, उपदेश, संस्कृत, १८वीं, अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर 188 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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