________________
२२७१. रात्रिभोजन चौपई, कमलहर्ष / मानविजय, रास चौपई, राजस्थानी, १७५० लूणकरणसर,
'आदि-श्री वरधमान जिण वंदिये..., अन्त-रात्रे भोजन टालो भवियणरे...', अ., ह. सेठिया
लाइब्रेरी, बीकानेर २२७२. रात्रिभोजन चौपई, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण,
'आदि- श्री संशेश्वर पास..., अन्त-निधि पाण्डव भक्ष संवत्सरे...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि
ज्ञान मन्दिर, कोबा ४०६५, बद्रीदास संग्रह, कलकत्ता २२७३. रात्रिभोजन चौपई,लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७३८
बीकानेर, 'आदि-वरधमान जिणवर तणा..., अन्त-जिनकुशलसूरि गुरु राजी...', अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर २२७४. रात्रिभोजन चौपई, श्रीसुन्दरगणि / यु.जिनचन्द्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह.
सदागम ट्रस्ट, कोडाय २२७५. रात्रिभोजन चौपई, सुमतिहंसगणि / जिनहर्षसूरि आद्य., रास चौपई, राजस्थानी, १७२३
जयतारण, 'आदि-सुबुद्धि लबधि नवनिधि..., अन्त–रात्रिभोजन दोष दिखाया...', अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर, छत्तीबाई उपाश्रय संग्रह, बीकानेर २२७६. रामकृष्ण चौपई, लावण्यकीर्त्तिगणि / ज्ञानविशालगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७७
बीकानेर, 'आदि-जगत आदेकर जगतगुरु..., अन्त–सोहम सांमी परंपरा...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा,
विनय. प्रतिलिपि २२७७. रामविनोद वैद्यक, रामचन्द्रगणि / पद्मरङ्गगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७२० सक्कीनगर,
'आदि-सिद्धि बुद्धि दायक सलहीयै..., अन्त-कोटि गच्छ खरतर परधान...', अ., ह.
हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा २६९४ २२७८. रामायण चौपई, विद्याकुशल-चारित्रधर्म / आनन्दनिधान आद्य., रास चौपई, राजस्थानी,
१७९१ लूणकरणसर, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा २२७९. रामे अष्टादशार्थाः, धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, काव्य, संस्कृत, १८वीं, 'आदि-त्वं
संबोधय कामकेशवनिधि...', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. ३८३ २२८०. रिपुमर्दन भुवनानन्दरास, ज्ञानसुन्दर / अभयवर्द्धन, रास चौपई, राजस्थानी, १७०८, अ., ह.
सुराणा लायब्रेरी, चूरू २२८१. रिपुमर्दन भुवनानन्दरास, लब्धिकल्लोल उ० / कुशलकल्लोलगणि, रास चौपई, राजस्थानी,
१६४९ पालनपुर, 'आदि-आदि जिणेसर आदि कर..., अन्त–पामी संघ तणउ आदेस...',
अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, अभय ग्र., बीकानेर २२८२. रुक्मिणी चरित्र, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, चरित्र, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह.
अभय ग्र., बीकानेर
172
खरतरगच्छ साहित्य कोश
For Personal & Private Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org