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२२५८. रागमाला, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, संगीत, राजस्थानी, १७२१ सूरत, 'आदि
जय जय जिनराज सकल सुखसागर... गा. २८', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर
गुटका नं. ४१५ २२५९. राघवपाण्डवीयकाव्य टीका, चारित्रवर्द्धन उ० / कल्याणराज उ०, महाकाव्य, संस्कृत,
१६वीं, अ. २२६०. राघवपाण्डवीयकाव्य टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, महाकाव्य,
संस्कृत, १७वीं, अ., उ. स्वकृत अविद पदशतार्थी २२६१. राजगृहप्रशस्तिः, भुवनहिताचार्य / जिनचन्द्रसूरि, ऐतिहासिक प्रशस्ति, संस्कृत, १४१२, मु.,
खरतरगच्छ प्रतिष्ठा लेखसंग्रह २२६२. राजप्रश्नीय उद्धार चौपई, सहजकीर्तिगणि / हेमनन्दन उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७६,
अ., ह. हीराचन्द्रसूरि संग्रह, बनारस २२६३. राजप्रश्नीय सूत्र चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९ ___सक्कीनगर, 'अन्त-लीलविलास हे सहीयइ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा
२०५३ २२६४. राजमुनि अष्टक, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, २०वीं-२१वीं, 'आदि-यः
श्रीमोहनलालजीमुनिवरो... गा. ९', मु. लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ६७, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं.,
बम्बई
२२६५. राजर्षि कृतकर्म चौपई, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी,
१७२८ सोजत, 'आदि-परमपुरुष परमेष्ठि पय..., अन्त-राजरिषीसर कृतकर्म हिवई रे...', : अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १२६६ ।। २२६६. राजसिंह चौपई, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १६८७ जैसलमेर,
अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९४६ २२६७. राजसिंह रत्नावती सन्धि, हीरकलशोपाध्याय / हर्षप्रभ उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६१९
झंझेउ, आदि–पणमिय चउवीसे जिणराय, अन्त-नवपद मंत्र महानवकार', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र.,
जयपुर गुटका २२६८. राजसोमोपाध्यायाष्टक स्तोत्र, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, संस्कृत, १९वीं,
___ 'आदि-श्रेयस्कारि सतां यदाशु चरितं... गा. ९', मु., ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. ३०५ २२६९. राठौड़ वंशावली सवैयाबद्ध, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, वंशावली, राजस्थानी,
१७वीं-१८वीं, अ. २२७०. रात्रिभोजन चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७८७
नापासर, अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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