________________
२२४४. रत्नपाल चौपई, रत्नविशालगणि / गुणरत्न उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६६२ महिमावती, 'आदि- पहिलउ प्रणमुं प्रथम जिण..., अन्त-मुनि गुण गाइयइ रतनपाल रिषिराय...', अ., ह. भुवनभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर
२२४५. रत्नपाल रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-स्वस्ति श्री प्रभु...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९६७३
२२४६. रत्नशेखर रत्नावली रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९, 'आदि-सरसति ताहरा चरण युग..., अन्त-इणि अवसरै गोतम भणे...', अ., ह. बालचन्द्र संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., चित्तौड़
२२४७. रत्नसार रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७५९ पाटण, 'आदिप्रथम जिणेसर पाय नमुं..., अन्त - रयणकुमार चरित्र श्रवणें सुणीरे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - २, पृ. ११०, भाग - ३, पृ. ११७१
२२४८. रत्नसिंह राजर्षि रास, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७४१ पाटण, 'आदि-चरम जिणेसर चरण जुग..., अन्त - सुगुरु वयनथी इणि भव पर भव सूख लयारे...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - १, पृ. ८७
२२४९. रत्नसेन पद्मावती कथा, जिनसमुद्रसूरि / जिनचन्द्रसूरि बेगड़, रास चौपई, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर
२२५०. रत्नहास चौपई, यशोवर्द्धनगणि / रत्नवल्लभ, रास चौपई, राजस्थानी, १७३२, अ. २२५१. रत्नहास चौपई, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७२५, ' आदि - सरसति सामणि पय नमी ..., अन्त - पालई पालई रे हिक रतनहास राज पालई ... अ., ह. सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर
२२५२. रत्नाकर पञ्चविंशतिका अनुवाद, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ., स्तोत्र, राजस्थानी, १८वीं, अ. २२५३. रमतियाल शिष्य प्रबन्ध बालावबोध, रत्नाकरोपाध्याय / मेघनन्दन उ०, कथा, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर
२२५४. रसमञ्जरी, महिमसिंह ( मानसिंह ) / शिवनिधान उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७वीं, अ., अभय ग्र., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग - ३, पृ. १५०८
२२५५. रसमञ्जरी चौपई, समयमाणिक्य (समर्थ) / मतिरत्नगणि, आयुर्वेद, राजस्थानी, १७६५, 'अन्त-संवत सतरे सै पैसठि समे...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर
२२५६. रसिकप्रिया टीका, समयमाणिक्य (समर्थ) / मतिरत्नगणि, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७५५ जालिपुर, अ., ह. दानसागर - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, चारित्र रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर २२५७. रसिकप्रिया भाषा टीका, कुशलधीरगणि / कल्याणलाभ उ०, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७२४ जोधपुर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर
170
Jain Education International
खरतरगच्छ साहित्य कोश
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org