SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७१४. पूजा - नाम कर्म निवारण पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरूसरि, पूजा, हिन्दी, २१वीं, 'आदि-तीरथ जल से जो करे..., अन्त-सुख दुख फल संसार में रे...', मु., बृहत् पूजा संग्रह, कलकत्ता १७१५. पूजा - नेमिनाथ पञ्चकल्याण पूजा, मणिप्रभसागर उ० / जिनकान्तिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०४६ जयपुर, 'आदि-ऊँ अर्ह अर्ह नमो..., अन्त–पायो पायो रे जिन शासन वीर सवायो...', मु. पूजन सुधा, पारस प्रकाशन, नई दिल्ली १७१६. पूजा - पञ्च कल्याणक पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी-संस्कृत, १८८९ कलकत्ता, 'आदि-पञ्च कल्याणक जिनतणा..., अन्त-भविजन शुभ भाव भक्ति...', अ., ह. कुशलचन्द्र पुस्तकालय, बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, विनय. प्रतिलिपि १७१७. पूजा - पञ्च कल्याणक पूजा, बालचन्द्रोपाध्याय (विजयविमल) / अमृतसमुद्रगणि, पूजा, राजस्थानी, १९१३ बीकानेर, 'आदि-ज्योति रूप जगदीशनु..., अन्त–तेज जरणि समराजे...', मु., जिन पूजा महोदधि १७१८. पूजा - पञ्च ज्ञान पूजा, चारित्रनन्दी / नवनिधि, पूजा, हिन्दी, १९वीं, 'आदि स्वस्तिश्रीकेलिसदन..., अन्त–केवल नाण उदार यांते आनंद....', मु., जिन पूजा महोदधि, ह. विनय. प्रतिलिपि १७१९. पूजा - पञ्च ज्ञान पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९४० बीकानेर, आदि-वर्धमान जिनचन्द कुं..., अन्त-असरण सरण कहायो...', मु. जिन पूजा महादधि १७२०. पूजा - पञ्च परमेष्ठि पूजा, सुमतिमण्डन उ० (सुगनजी) / धर्मानन्द उ०, पूजा, हिन्दी, १९५३ बीकानेर, आदि-ऊंकार बीज आदै नमुं..., अन्त–चंगीमे चंगी कोन जगतकी मोहनी...', मु., जिन पूजा महोदधि १७२१. पूजा - पूजा पंचाशिका बालावबोध ( मूल-शुभशीलगणि), जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, पूजा, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण, खजांची संग्रह, बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १६३७ १७२२. पूजा - पार्श्वनाथ पञ्चकल्याणक पूजा, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, पूजा, हिन्दी, २०१३ फलौदी पार्श्वनाथ, 'ऊँ अर्ह ज्योर्तिमइ..., अन्त–पारस हम गुण पायो..', मु., जैन पूजा संग्रह, कलकत्ता १७२३. पूजा - पैंतालीस आगम पूजा, म० ऋद्धिसार ( रामलाल) / कुशलनिधान उ०, पूजा, हिन्दी, १९३० बीकानेर, 'आदि-वर्द्धमान जिनवर नमुं..., अन्त–आज अधिक दिन छाजे...', मु. जिन पूजा महोदधि १७२४. पूजा - बारहव्रत पूजा, कपूरचन्द उ० / कुशलसार उ०, पूजा, राजस्थानी, १९३६ बीकानेर, 'आदि-व्रत बाहरे आदर करे..., अन्त–हां हो यशधारा प्रभु...', मु., जिन पूजा महोदधि 131 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy