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________________ ११७३. धन्ना रास, कल्याणतिलक उ० / जिनसमुद्रसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६वीं जैसलमेर, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, रा.प्रा.वि.प्र., जयपुर ७०९४, ७१०८ ११७४. धन्ना रास, दयातिलक वा. / रत्नजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७३७, 'आदि-वीर जिणेसर पाय नमी..., अन्त–संवत मुनि गुण रिषि ससी...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ, भाग-२, पृ. ३५० ११७५. धन्ना शालिभद्र चौपई, कमलहर्ष वा. / मानविजय वा., रास चौपई, राजस्थानी, १७२५ सोजत, 'आदि-वरधमान जिनवर नमुं..., अन्त-बाण नयन वारिधि शशि वरसई...', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २८९६१, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ९९१६७ ११७६. धन्ना शालिभद्र चौपई, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६७४ आगरा, अ., ह. महिमाभक्ति-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कवि द्वारा संशोधित प्रति ११७७. धन्ना शालिभद्र चौपई, यशोरङ्ग / हीरारत्न, रास चौपई, राजस्थानी, १७३४, अ., ह. पूनमचन्द दूघोड़िया छापर ११७८. धन्ना शालिभद्र चौपई, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७२६ वणाड, अ., ह. दानसागर-बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर ११७९. धन्ना शालिभद्र रास, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १६७८, 'आदि सासण नायक समरीय..., अन्त–सोलहसइ अठहत्तरि वरसै...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२०, ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि., हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा, बादशाही चित्र कार शालिवाहन चित्रित की सचित्र प्रति बहादुरसिंहजी सिंघी कलकत्ता में है। ११८०. धन्य चरित्र, जयानन्दसूरि / जिनधर्मसूरि बेगड़, चरित्र, संस्कृत, १५१०, 'आदि श्रेयोलतामन्डनमंडपश्री..., अन्त–वर्षे खविधुबाणेन्दु...', अ. ११८१. धन्य चरित्र चौपई, राजसार / धर्मसोम उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १७०९, ‘अन्त-युग परधान जिनचंद जतीसर...', अ. अभय ग्र., बीकानेर ११८२. धन्ना शालिभद्र चरित, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, काव्य, संस्कृत, १२८५ जैसलमेर, _ 'आदि-श्रीनाभिनन्दनो भास्वान्..., अन्त-श्रीमद्गुर्जर भूमिभूषणमणौ...', मु., मुनिमोहनलाल जैन ग्रन्थमाला, सूरत ११८३. धर्मदत्त चन्द्रवल चौपई, क्षमाप्रमोदगणि / रत्नसमुद्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८२६ जैसलमेर, अ., ह. वृद्धिचन्द संग्रह, जैसलमेर स्वयं लिखित प्रति ११८४. धर्मदत्त चौपई, अमरविजयगणि / उदयतिलक उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १८०३ राहसर, 'आदि-प्रणमिय परमानंदमय..., अन्त–वीर जणै पट सोहम सिख भन...', अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर ११८५. धर्मदत्त चौपई, जिनरङ्गसूरि / जिनराजसूरि, रास चौपई, राजस्थानी, १७३७ किसनगढ़, अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर, विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 91 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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