________________
११५९. द्वदशव्रतटिप्पणिका, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विधि, राजस्थानी, १९वीं,
अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ११६०. द्वादशाङ्गीप्रमाणकुलक, जिनभद्रसूरि / जिनराजसूरि, प्रकरण, प्राकृत, १५वीं, आदि-नमिऊण
जिणं अंगाण..., अन्त–इय नंदिसुत्तविवरण...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि ११६१. द्वादशचक्रबद्धा वीरजिन स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-सुक्ख
निधि जिनवीर... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ५२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ११६२. द्वाषष्ठि मार्गणा यंत्र, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १९वीं, 'अन्त
संवत संसारी जिण भेद...', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ११६३. द्वासप्तति जिनेन्द्र स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, 'आदि-नमिऊण वद्धमाणं
सुरनरदेविंद..., अन्त–इय भरहे काल तिया बाहत्तरि... गा. २०', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी
ज्ञान मन्दिर, आगरा ११६४. द्वासति जिनेन्द्र स्तोत्र , देवमूर्ति / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १४वीं, आदि-वन्दे केवलनाणिं..
गा. ९', अ., ह. जिनभद्रसूरि ज्ञान भं., जैसलमेर, गुजरात विद्या सभा, अहमदाबाद । ११६५. द्वितीयापर्वतिथि स्तुतिः, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत, आदि-श्रीमद्वीरजिनेश्वरेण
कथितं... गा. ४', मु., लब्धि कृतिसन्दोह, पृ. ४२, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., बम्बई ११६६. द्वि-त्रि पञ्चकल्याणक स्तव, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १४वीं, आदि
पद्मप्रभप्रभोर्जन्म... गा. १५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ११६७. द्विमुख प्रत्येक बुद्धि चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी,
१६६४ आगरा, 'आदि-दुमह नाम मुनिवर नमू..., अन्त–संवत सोल चउसठिसमइ...', मु.,
आनन्द काव्य महोदधि भाग-७, ह. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३४० ११६८. धनंजय रास, भुवनसोमगणि / धनकीर्त्तिगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १७०२ मेवानगर,
अ., ह. केशरियानाथ ज्ञान भं., जोधपुर ११६९. धनदत्त चौपई, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६९६
अहमदाबाद, 'आदि-शान्तिनाथ जिन सोलमउ..., अन्त–गुरुनी सीख मांहे रहइए...', मु.,
समयसुन्दर रास पंचक, ह. अभय ग्र., बीकानेर, हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा ११७०. धन्ना चौपई, जिनवर्द्धमानसूरि / जिनरत्नसूरि पिप्पलक, रास चौपई, राजस्थानी, १७१०
खम्भात, 'अन्त-श्री जिनवर्द्धनसूरि सवाई...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-२, पृ. ८१ ११७१. धन्ना चरित चौपई, पुण्यकीर्तिगणि / हंसप्रमोदगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १६८८
बीलपुर, अ. ११७२. धन्ना चौपई, हितधीर / कुशलभक्ति, रास चौपई, राजस्थानी, १८२६, अ., ह. पार्श्वनाथ
पुस्तकालय, सूरतगढ़
90
खरतरगच्छ साहित्य कोश
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org