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ऋग्वेद
१३३
व्यङ्ग नभप्रभेदन मूर्धन्वान्
इत विश्वावसु शतप्रभेदन शर्याति अभीवर्त
जिन देवताओं की स्तुति ऋग्वेद में की गयी है उनकी सूची निम्नलिखित है : अग्नि
अग्नायी रति
ध्रुव
वायु
विश्वकर्मा संवर्त अग्निपावक साधि तान्व ऊर्ध्वग्रीव साम्बमित्र अग्निपूत उर्वशी
धेनु
द्रोण
अग्नितापस धर्म अर्बुद पतङ्ग पृथुबन्धु भिक्षु सर्वहरि सप्तधृति श्रद्धा
आयु
शिबि
मण्डूक
यूप
लव
उपस्तुत् पुरूरवा अरिष्टनेमि सुवेद उरुक्षय भिषक् श्येन सार्पराज्ञि अघमर्षण सवन कुलमल दुवस्यु नाभाग
मृत्यु
इन्द्रमाता शिरिम्बिठ केतु बाभ्रव्य स्वस्ति यक्ष्मनाशन
सूर्य
बृहद्दिव हिरण्यगर्भ चित्रमहा प्रतिप्रभ भुवन बहिष मुद्गल श्रुतविद्
ऋतु
मरुत्
सिन्धु
रक्षोहा
अन्न
प्रस्तोक पृथ्वी वनस्पति
पृष्णि वरुण विष्णु
राका वास्तोष्पति पूषा
सिनीवाली सरस्वान् इन्द्रावरुण सविता चित्र
मित्रावरुण अश्विनौ कपिञ्जल
सोम पितृमान् पितर
उषा सरमापुत्र अर्यमा
पर्वत सोमक विश्वेदेव
आदित्य रुद्र
सरस्वती आप्त्य वामदेव
धाता आप्रो
उच्चैःश्रवा वैकुण्ठ
वैश्वानर दधिक्रा
आत्मा
क्षेत्रपति निऋति त्वष्टा स्वनय
सीता ज्ञान
ब्रह्मणस्पति सोम रोमशा घृत .
ओषधि दक्षिणा बृहस्पति
उशना अरण्यानी
वाक् अत्रि श्रद्धा
इन्द्राणी काले देवी
शची वरुणानी साध्य
मायाभेद पर्जन्य
ताओं ऋग्वेद में आये हुए छन्दों के नाम अधोलिखित है : अभिसारिणी मध्येज्योतिष्मती पुरौष्णिक् अनुष्टुप् महाबृहती स्कन्धोग्रीवी अष्टि
महापदपङ्क्ति तनुशिरा अस्तारपङ्क्ति महापङ्क्ति विष्टप् अतिधति सतोबृहती उपरिष्टाबृहती अतिजगती महासतोबृहती उपरिष्टाज्ज्योति अतिनिचुत्
नष्टरूपा
ऊर्ध्वबृहती अत्यष्टि न्यसारिणी उरोबृहती
विहव्य रातहव्य यजत उरुचक्रि
शिंकु
भर्ग कलि
मेधातिथि असङ्ग शश्वति देवातिथि ब्रह्मातिथि वत्स
ऋभु
मत्स्य
बहुवृक्त पौर अवस्यु
मान्य
मन्यु
यवापमरुत् शशकर्ण सुहोन अश्वसूक्ति
देवापि भरद्वाज नारद शुनहोत्र इरिम्बिठ गर्ग वैवस्वत मनु वसिष्ठ सहस्रवसु
शंयु
साध्वस वीतहव्य गोषक्ति नर सौभरि ऋजिस्वा कश्यप मैत्रावरुणि रोचिशा
विश्वमना पायु निपतिथि वशिष्ठ वाशिष्ठ
शक्ति
श्यावाश्व
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