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(५) माण्डुकेय कुछ विद्वानों के अनुसार इसकी सत्ता
ईस शाखाएँ थीं, जिनके नाम निम्नाकित है :
१०. शाङ्खायन
११. आश्वलायन
१२. कौषीतकि
१३. महाकौषीतकि २२.
१४. शाम्व्य
१. मुद्गल
२. गालव
३. शालीय
४. वात्स्य
५. रौशिरि
६. बोध्य
१५. माण्डूक्य
७. अग्निमाठर १६. बहुच
८. पराशर १७. प
मधुच्छन्दा
जेत
मेधातिथि शुनःशेप
हिरण्यस्तूप
कण्व
प्रस्कण्व
सव्य
नोधा
९. जातूकर्ण्य १८. उद्दालक
दे० [पं० भगवद्दत्त वैदिक वाङ्मय का इतिहास, भाग
१. पृ० १३१ ।
ऋग्वेद के ऋषियों के नाम निम्नाति है
दीर्घतमा
अगस्त्य
पराशर
गोतम
कुत्स
कश्यप
ऋज्राश्व
त्रित
कक्षीवान्
भावयव्य
रोमश
परुच्छेय
बुध
अवस्यु
प्रगाथकण्व
ययाति
अपाला
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इन्द्र
मरुत्
लोपामुद्रा
गृत्समद
सोमहूति
कूर्म
विश्वामित्र
ऋषभ
उत्कल
कट
देवश्रवा
देवव्रत
प्रजापति
वामदेव
अदिति
१९. शतबलाक्ष
२०. गज
२१. वाकलि
त्रसदस्यु
पुरुमिल्ल
बभ्रु
गतु
द्युम्निक
संवरण
महष
२३.
"
२४. ऐतरेय
२५. वसिष्ठ
२६. सुलभ
२७. शौनक
कुमार
ईश
33
सुतम्भरा
धरुण
वब्रि
पुरु
द्वित
तन
शश
विश्वसाम
घुम्न
विश्वचर्षणि
गोपपणि
वसुयु
त्र्यारुण
अश्वमेध
अत्रि
विश्ववर
गौरवीति
गविष्ठिर
प्रभु
पुन स
1
नृमेष
पृथु
वसु
चक्षुः
सप्तर्षि
कवि
पूतदक्ष
प्रतिक्षत्र
ऊर्ध्वद्म
अमही
रेहजमदग्नि
पुरुहन
शिशु
खानस
त्रिशिरा
पुष्टिगु
हर्यश्व
शङ्ख
हरिमन्थ
वेन
मातरिश्वा
कुरु स्तुत्
मचित
गुत्समद
प्रतर्दन
असित
कुसीबी
अभितया
अम्बरीष
इध्मबाह
विश्वक्
सप्तगु
यज्ञ
भूतांश
गौपवन
कपोत
ऋष्यवज्ञ
जरत्कारु
विभ्राजा
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रहूमण
क्षुतकक्ष
सुकक्ष
अत्रिभूय
गौरी
उतथ्य
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प्रतिरथ
कृशाश्व
निध्रुवि
नेम
सुदीति
अत्रि
पवित्र
धुष्टिगु
गोपवन
दमन
देवश्रवा
अकृष्टपच्या
कृष
कृत्नु
च्यवन
वसुक्र
व्याघ्रपात्
वेवल
उशना काव्य
घोषा
ऋजिश्वा
श्यावाश्व
वैकुण्ठ
विवृहा
सुदास
सरमा
नाभानेदिष्ट
अनिला
विषाणक
राम
स्यूमरश्म
शिखण्डिनी
बृहन्मति
अयास्य
विन्दु
आवत्सार
रीति
आवत्सारक्ष
द्युतान
प्रतिभानु
ऋणञ्चय
भृगु
पुरुमीढ
यम
यमी
रेणू
आयु
सप्तवधि
विरूप
संयुक
अजा
पृषध
सुपर्ण
एकत
लुभ
कर्णश्रुत
दृढच्युत
कृष्ण
ऋग्वेद
सुहस्त्य
नेमनु
अप्रतिरथ
बृहत्कथ
प्रचेता
मान्धाता
पणि
सुमित्र
शबरा
विप्र जूति
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