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________________ आश्वलायनगृह्यसूत्र-आषाढकृत्य रिक जीवन से विदाई, उसकी वेशभूषा, दुसरी आश्वकताएँ, भोजन, निवास, एवं कार्यादि पर विस्तृत प्रकाश पड़ता। है । संन्यास सम्बन्धी उपनिषदों, यथा ब्रह्म संन्यास, आरु- णेय, कठश्रुति, परमहंस तथा जाबाल में भी ऐसा ही पूर्ण विवरण प्राप्त होता है। आश्वलायनगृह्यसूत्र--ऋग्वेद के गृह्यसूत्रों में एक । इसकी रचना करने वाले ऋषि अश्वल अथवा आश्वलायन थे,। इसमें गृह्यसंस्कारों, ऋतु यज्ञों तथा उत्सवों का सविस्तर वर्णन है। आश्वलायनगृह्मपरिशिष्ट-आश्वलायन द्वारा रचित ऋग्वेद के अनुपूरक कर्मकाण्ड से सम्बन्ध रखनेवाला यह परि- शिष्ट ग्रन्थ है। आश्वलायनश्रौतसूत्र- सूत्रों की रचना कर्मकाण्ड विषयक है। इन्हें कल्पसत्र भी कहते हैं । ऋग्वेद के श्रौतसत्रों में सबसे पहला 'आश्वलायनसूत्र' समझा जाता है। यह बारह अध्यायों में है । ऐतरेय ब्राह्मण के साथ आश्वलायन का घनिष्ठ सम्बन्ध है। अश्वल ऋषि विदेहराज जनक के ऋत्विजों में होता' थे। किसी किसी का कहना है कि ये ही इन सूत्रों के प्रवर्तक थे, इसीलिए इनका आश्वलायन नाम पड़ा । कुछ लोग आश्वलायन को पाणिनि का समकालीन बतलाते हैं । भारतीय विद्वान् इस दूसरी कल्पना को नहीं मानते । ऐतरेय आरण्यक के चौथे काण्ड के प्रणेता का नाम भी आश्वलायन है । आश्वलायन के गुरु 'प्रातिशाख्यसूत्र' के रचयिता शौनक कहे जाते हैं। आश्विनकृत्य-आश्विन मास में अनेक व्रत तथा उत्सव होते हैं, जिनमें से मुख्य कृत्यों का उल्लेख यथास्थान किया जायगा । यहाँ कुछ का ही उल्लेख होगा । विष्णुधर्मसूत्र (९०.२४.२५) में स्पष्ट क ा गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस मास में प्रतिदिन घृत का दान करे तो वह न केवल अश्विनी को सन्तुष्ट करेगा अपितु सौन्दर्य भी प्राप्त करेगा । ब्राह्मणों को गोदुग्ध अथवा गोदुग्ध से बनी अन्य वस्तुओं सहित भोजन कराने से उसे राज्य की प्राप्ति होगी। इसी मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को पौत्र द्वारा, जिसके पिता जीवित हों, अपने पितामह तथा पितामही के श्राद्ध का विधान है । उसी दिन नवरात्र प्रारम्भ होता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सती ( भगवती पार्वती) का पूजन करना चाहिए । अध्य, मधुपर्क, पुष्प इत्यादि वस्तुओं : द्वारा धार्मिक, पतिव्रता तथा सधवा स्त्रियों के प्रति क्रमशः, जिनमें माता-बहिन तथा अन्य पूज्य सभी स्त्रियाँ आ जाती हैं, सम्मान प्रदर्शित किया जाना चाहिए । पञ्चमी के दिन कुश के बनाये हुए नाग तथा इन्द्राणी का पूजन करना चाहिए । शुक्ल पक्ष की किसी शुभ तिथि तथा कल्याणकारी नक्षत्र और मुहूर्त में सुधान्य से परिपूरित क्षेत्र में जाकर संगीत तथा नृत्य का विधान है। वहीं पर हवन इत्यादि करके नव धान्य का दही के साथ सेवन करना चाहिए । नवीन अंगूर भी खाने का विधान है। शुक्ल पक्ष में जिस समय स्वाति नक्षत्र हो उस दिन सूर्य तथा घोड़े की पूजा की जाय, क्योंकि इसी दिन उच्चैः -श्रवा सूर्य को ढोकर ले गया था। शुक्ल पक्ष में उस दिन जिसमें मूल नक्षत्र हो, सरस्वती का आवाहन करके, पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में ग्रन्थों में उसकी स्थापना करके, उत्तराषाढ़ में नैवेद्यादि की भेंटकर, श्रवण में उसका विसर्जन कर दिया जाय । उस दिन अनध्याय रहे; लिखना पढ़ना, अध्यापनादि सब वजित है। तमिल नाडु में आश्विन शुक्ल नवमी के दिन ग्रन्थों में सरस्वती की स्थापना करके पूजा की जाती है । तुला मास (आश्विन मास) कावेरी में स्नान करने के लिए बड़ा पवित्र माना गया है । अमावस्या के दिन भी कावेरी नदी में एक विशेष स्नान का आयोजन किया जाता है। दे० निर्णयसिन्धु, पुरुषार्थचिन्तामणि, स्मृतिकौस्तुभ आदि । आषाढकृत्य-आषाढ मास के धार्मिक कृत्यों तथा प्रसिद्ध व्रतों का उल्लेख यथास्थान किया गया है। यहाँ कुछ छोटे व्रतों का उल्लेख किया जायगा । मास के अन्तर्गत एकभक्त व्रत तथा खड़ाऊँ, छाता, नमक तथा आवलों का ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इस दान से वामन भगवान की निश्चय ही कृपादृष्टि होगी। यह कार्य या तो आषाढ़ मास के प्रथम दिन हो अथवा सुविधानुसार किसी भी दिन । आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को यदि पुष्य नक्षत्र हो तो कृष्ण, बलराम तथा सुभद्रा का रथोत्सव निकाला जाय । शुक्ल पक्ष की सप्तमी को वैवस्वत सूर्य की पूजा होनी चाहिए, जो पूर्वाषाढ़ को प्रकट हुआ था । अष्टमी के दिन महिषासुरमर्दिनी भगवती दुर्गा को हरिद्रा, कपूर तथा चन्दन से युक्त जल में स्नान कराना चाहिए। तदनन्तर कुमारी कन्याओं और ब्राह्मणों को सुस्वादु मधुर भोजन कराया जाय । तत्पश्चात् दीप जलाना चाहिए। दशमी के दिन वरलक्ष्मी व्रत तमिलनाडु में अत्यन्त प्रसिद्ध है । म Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016098
Book TitleHindu Dharm Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajbali Pandey
PublisherUtter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou
Publication Year1978
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size27 MB
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