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अमरकोषः।
[प्रथमकाण्डे
-१ भर्त्सनं त्वपकारगीः। २ यः सनिन्द उपालम्भस्तत्र स्थात्परिभाषणम् ॥१४॥ ३ तत्र स्वाक्षारणा यः स्वादाक्रोशो मैथुनं प्रति । ४ स्यादाभाषणमालापः ५ प्रलापोऽनर्थकं वचः ॥ १५॥ ६ अनुलापो मुहुर्भाषा ७ विलापः परिदेवनम् । ८ विप्रलापो विरोधोक्तिः ९ संलापो भाषणं मिथः ॥ १६ ॥ १० सुप्रलापः सुषचन११मपलापस्तु निह्नवः ।
भर्सनम् (न), अपकारगीः ( = अपकारगिर , स्त्री ), 'फटकारने के २ माम हैं।
२ परिभाषणम् (न), 'शिकायत करते हुए दोषको कहने का १ नाम है ॥
३ साक्षारणा (स्त्री। +न), 'परपुरुषगमन या परस्त्री-गमनविषयक दोष लगाने का नाम है ॥ ____४ आभाषणम् (न), आलापः (पु), 'प्रेमसे बात करने के २ नाम हैं।
५ प्रलापः (पु), 'प्रलाप करने, बड़षडाने' का १ नाम है ॥
६ अनुलापः (पु), मुहुर्भाषा (स्त्री), 'एक ही विषयको बार-बार कहने के ३ नाम हैं।
७ विलापः (पु। + विलपनम्, न), परिदेवनम् (न । +स्त्री), रोते हुए बोलने के नाम हैं।
८ विप्रलापः (पु), विरोधोक्तिः (स्त्री), 'परस्पर विरुद्ध बात कहने' के २ नाम हैं।
९संलापः (पु), 'परस्परमें बात करने का १ नाम है। ('मालाप' एक भादमी भी कर सकता है; किन्तु 'संलाप' एक आदमी नहीं कर सकता, यही आलाप और संलापमें भेद है')॥
१० सुप्रलापः (पु), सुवचनम् (न), 'मीठे वचन' के २ नाम हैं ।
"अपलापः, निहवः (पु), 'असल विषयको छिपानेके लिये मुकर जाने के नाम है।
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