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अमरकोषः।
[प्रथमकाण्डेआख्याह्ने अभिधानं च नामधेयं च नाम च । १ हूतिराकारणावानं २ सहूतिर्बहुभिः कृता ॥ ८॥ ३ विवादो व्यवहारः स्यादुपन्यासस्तु वाङमुखम् । ५ उपोद्धात उदाहारः ६शपनं शपथः पुमान् ।। ९ ॥ ७ प्रश्नोऽनुयोगः प्रच्छा च८ प्रतिवाक्योत्तरे समे। ९ मिथ्याभियोगोऽभ्याख्यान१०मथ मिथ्याभिशंसनम् ।। १० ।।
नाम ( = नामन् । ३ न । + संज्ञा, स्त्री), 'नाम' के ६ नाम हैं ।
हूतिः, आकारणा ( २ स्त्री), आह्वानम् (न), 'बुलाने या पुकारने के ३ नाम हैं।
२ सहूतिः (स्त्री), 'इकट्ठा होकर बहुत लोगोंके पुकारने' का १ नाम है ॥
३ विवादः, व्यवहारः (१९), 'विवाद या झगड़ा' अर्थात् 'लेन, देन इत्यादि किसी विरुद्ध विषयों को लेकर परस्पर विरुद्ध भाषण करने या मुकदमे बाजी' के २ नाम हैं।
४ सपन्यासः (पु), वाहमुखम् (क), बातको प्रारम्भ करने के २ नाम हैं।
५. उपोद्धातः, उदाहारः (२ पु), 'कही जानेवाली बातकी सिद्धिके लिये भूमिका बाँधने, या दृष्टान्त आदि देने के २ नाम हैं ।
६ शपनम् (न), शपथः (पु) 'शपथ कसम' के २ नाम हैं । ७ प्रश्नः, अनुयोगः, (पु), पृच्छा (स्त्री), 'प्रश्न' के २ नाम हैं । ८ प्रति वाक्यम् , उत्तरम् (२ न ), 'उत्तर, जबाब' के २ नाम हैं ।
९ मिथ्याभियोगः (पु), अभ्याख्यानम् (न), 'किसीपर झूठा आक्षेप करने' के २ नाम हैं ॥ (जैसे-'कुछ नहीं लिये हुए किसी आदमीपर तुमने अमुक चीज ली है, इत्यादि आक्षेप करना,.........")॥
१० मिथ्याभिशंसनम् (न), अभिशापः (पु। + शापः ), 'किसीके ऊपर पापविषयक झूठा सन्देह करने के २ नाम हैं। ('जैसे-किसीने परदारागमन या मद्यपान इत्यादि नहीं किया है, किन्तु उसपर परदारागमन था मद्यपान आदि करनेका सन्देह करना,..............")
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