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अमरकोषः
[ प्रथमकाण्डे
१ अङ्गीकाराभ्युपगमप्रतिश्रवसमाधयः २ मोक्षे धीर्शान३मन्यत्र विज्ञानं शिल्पशास्त्रयोः । ४ मुक्तिः कैवल्यनिर्वाणश्रेयोनिःश्रेयसामृतम् ॥६॥
मोक्षोऽपवर्गोऽ५थाज्ञानमविद्याऽहम्मतिः स्त्रियाम् । ६ रूपं शब्दो गन्धरसस्पर्शाश्व विषया अमी ॥ ७॥
गोचरा इन्द्रियार्थाश्च ७ हृषीकं विषयीन्द्रियम् । ८ कर्मेन्द्रियं तु पाय्वादि'खलपू' शब्दके समान रूप होते हैं। (२ स्त्री), प्रतिज्ञानम् (न), नियमा, आश्रवः, संश्रवः (३ पु), 'प्रतिज्ञा' के ६ नाम हैं ।
१ अङ्गीकार: (+ स्वीकारः ), अभ्युपगमः, प्रतिश्रवः, समाधिः (पु), 'स्वीकार करने के नाम हैं।
२ ज्ञानम् (न), 'मोक्ष-विषयक बुद्धि' का । नाम है ॥
३ विज्ञानम् (न), 'शिल्प (कारीगरी), अथवा शास्त्रविषयक बुद्धि' का १ नाम है । (मुकुटने 'मोक्ष' इसको निमित्त सप्तमी मानकर मोक्षनिमित्तक शिरुप शास्त्र विषयक बुद्धिको 'ज्ञान' तथा अन्यनिमित्तक शिल्प-शास्त्रविषयक बुद्धिको 'विक्षान' अर्थ किया है)॥
४ मुक्तिः (स्त्री), कैवल्यम् , निर्वाणम्, श्रेयः (= श्रेयस् ), निःश्रेयसम्, अमृतम् (५ न), मोक्षः, अपवर्गः (२३), 'मोक्ष' के ८ नाम हैं।
५ अज्ञानम् (न), अविद्या, महम्मतिः (२ वी), 'अचान'के ३ नाम हैं ।
५ रूपम् (न), शब्दः, गन्धः, रसः, स्पर्शः (पु), ये ५ नेत्रादि एक-एक इन्द्रिय के एक-एक विषय के नाम हैं। ('नेत्रका विषय 'रूप' बिह्वा का विषय 'रस' नासिकाका विषय 'गन्ध' कानका विषय 'शब्द' और स्वचा अर्थात् चमड़े का विषय 'स्पर्श है। इन्हींके गोचरः, विषयः, इन्द्रियार्थः ( पु), ये ३ सामान्य नाम हैं।
हृषीकम्, विषयि (= विषयिन्), इन्द्रियम् (३), "इन्द्रियों' के नाम हैं। ('कर्मेन्द्रिय और ज्ञानेन्द्रिय भेदसे इन्द्रिय दो प्रकारके हैं। जिनका विवरण आगे किया जा रहा है')॥
८ कर्मेन्द्रियम् (न), 'काम करनेवाली इन्द्रियों का नाम है। ('पायु मर्थात् गुदा , उपस्थ अर्थात् भग या लिझ२, हाथ ३, पैर ४ और का५कर्मेन्द्रिय अर्थात काम करनेवाली इन्द्रियां हैं। 'मलस्याग करना,
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