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अमरकोषः [AILA काण्डे१ छदिनेत्ररुजोः क्लीबं समूहे पटलं न ना । २ अधःस्वरुपयोरस्त्री तलं ३ स्याञ्चामिषे पलम् ।। २०२॥ ४ और्वानलेऽपि पातालं ५'चेलं वस्त्रेऽधमे त्रिषु । ६ कुकूलं शङ्कुभिः कीर्णे श्वभ्रे ना तु तुषानले ॥२०३।। ७ निर्माते केवलमिति त्रिलिङ्गं त्वेककृत्स्नयोः। ८ पर्याप्तिक्षेमपुण्येषु कुशलं शिक्षिते त्रिषु ॥ २०४ ॥ ९ प्रगलमङ्करेऽप्यस्त्री१०त्रिषु स्थूलं जडेऽपि च । ११ करालो दन्तुरे तुझे १२ चारो दक्षे च पेशलः ॥ २०५॥
१ 'पटलम्' ( न ) क छप्पर, बाखका रोग विशेष, २ अर्थ और 'पट. लम्' (न स्त्री) का समूह, १ अर्थ है ॥
२ 'तलम्' (पु न ) के नीचे (जैसे- रसातलम् , पादतलम् ,.......), स्वरूप, पृष्ठ भाग (जैसे-भूतकम् , करतलम् ,..... ), ३ अर्थ हैं ।
३ 'पताम्' (न) के मांस, चार भरीका प्रमाण-विशेष, समय विशेष (१ घटीका १० भाग), .३ अर्थ है ॥
४ 'पातालम्' (न) के वडवानल, नागलोक (पाताल), बिल, ३ अर्थ हैं।
५ 'चैलम्' ( + चेलम् । न ) का कपड़ा, । अर्थ और 'चैलः' (त्रि) का नीच, , अर्थ है।
६ 'कुकूलम्' (न) का कील आदिसे भरा गढा, १ अथं और 'कुकूल' (पु) का भूसेकी भाग ( मर), " अर्थ है ॥ _ 'केवलम्' (अव्यय) का सिर्फ, १ अर्थ और 'केवलम्' (त्रि) के एक (अकेला, जैसे-केवलोऽयं याति,...... ), समूचा (जैसे-केवला भिक्षु. काः,...... ), २ अर्थ हैं ॥
८ 'कुशलम्' (न) के पर्याप्ति ( सामर्थ्य ), कल्याण, पुण्य, ३ अर्थ और 'कुशलम' (नि) का शिक्षित (चतुर), १ अर्थ है ॥
९ 'प्रवालम्' (न पु) के नया पल्लव', मूंगा, वीणाका दण्ड, ३ अर्थ हैं । १० 'स्थूलम्' (त्रि) के मोटा, जड़ (मूर्ख), २ अर्थ हैं ।। ११ 'करालः' (त्रि) के दाँतुल, ऊँचा, भयङ्कर, ३ अर्थ हैं । १२ 'पेशलः' (त्रि) के सुन्दर, चतुर, २ अर्थ हैं ।। १'चेलम्' इति पाठान्तरम् । २. 'भरोऽत्र किसलयः' इति क्षी० स्वा० उक्तः।
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