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अमरकोषः ।
- १ विनाशः स्याददर्शनम् ॥ २२ ॥
२ संस्तवः स्यात्परिचयः ३ प्रसरस्तु विसर्पणम् । ४ नीवाकस्तु प्रयामः स्यात् ५ सन्निधिः सत्रिकर्षणम् ||२३|| ६ लवोऽभिलाषो लवने ७ निष्पावः पवने पवः ।
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प्रस्तावः स्यादवसर ९ स्त्रसरः सूत्रवेष्टनम् ॥ २४ ॥ प्रजनः स्यादुपसरः ११ प्रश्रयप्रणयौ समौ ।
[ तृतीयकाण्डे
१ विनाशः (पु), अदर्शनम् (न), 'अन्तर्धान होने या छिप जाने' के २ नाम हैं ॥
२ संस्तवः परिचय : ( २ पु ), 'परिचय' अर्थात् 'जान पहिचान' के २ नाम हैं ॥
३ प्रसरः (पु), विसर्पणम् ( न ), 'घाव (व्रण) आदि के थाला' ( फैलाव ) के २ नाम हैं ॥
४ नीवाकः, प्रयामः ( २ ), 'धान्य आदिको एकत्रित करने' के २ नाम हैं ।
५ सन्निधिः (पु), सत्रिकर्षणम् (न), 'पास, समीप करने' के २ नाम हैं ।
६ लवः, अभिष्टावः ( २ पु ), लवनम् ( न ) 'काटने' के ३ नाम हैं ॥ ७ निष्पावः (पु), पवनम् ( न ), पत्रः ( 5 ) 'धान आदि अन्नको ओसाने या सूप आदिले फटककर भूसा अलग करने' के ३ नाम हैं |
८ प्रस्तावः, अवसर: ( ३ पु ), 'अवसर' प्रसन, प्रस्ताव' के २ नाम हैं ॥
९ त्रसरः ( + तसरः । पु ) सूत्रवेष्टनम् (न ) ' कपड़ा बुननेके लिये जुलाहा आदी सून लपेटने ( ताना-पाई करने ) के २ नाम हैं ॥
१० प्रजनः, उपसरः ( २ पु ), 'पहली बार गर्भ धारण करने' के २ नाम है !!
११ प्रश्रयः ( + प्रसः ), प्रणयः ( २ पु ), 'प्रेम, प्रीति' के २ नाम हैं ॥
१. प्रसरप्रणयौ' इति पाठान्तरम् ॥
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