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विशेष्यनिध्नवर्गः १] मणिप्रभाव्याख्यासहितः ।
१ अनायासकृतं फाण्टं २ स्वनितं ध्वनितं समे ॥ २४ ॥ ३ बद्ध संदानितं'मूतमुद्दितं संदितं सितम् । ४ निस्पको कथितं ५ पाके क्षीराज्यहविर्षा शृतम् ।। ९५ ॥ ६ निर्वाणो मुनिवनयादी ७ निर्वातस्तु गतेऽनिले। ८ पक्वं परिणते ९ गूनं हन्ने १० मीढं तु मूत्रिते ॥ ९६ ॥ २१ पुष्टे तु पुषितं --
१ अनाचा { आ. दी.), फाण्टम् (२ त्रि), 'विना परिश्रम से तैयार होनेवाले त्रिफला आदिके काढा विशेष" २ नाम हैं ।
२ स्वनितम् , ध्वनितन (२ त्रि), निन' अर्थात् 'अव्यक्त शब्द' के २ाम है ॥
३ बद्धम् , संदानितम् , मूतम् ( + मूर्णम् ), उहितम् ( + उदितम् ), संदितम् , सितम् ( + यन्त्रितम् , नियमितम् । ६ त्रि ), 'बंधे हुए' के ६ नाम हैं ॥
४ निप्पक्वम् , क्वथितम् (२ त्रि), 'अच्छी तरह पकाए या उबाले हुए' के २ नाम हैं ॥
५ शृतम् (त्रि ), 'पके हुए दूध, घी और हविष्य आदि या पाकमात्र' का १ नाम है । (जैसे - 'शृतं क्षीरम् ,... अर्थात् 'पका हुआ दूध,.......')॥
६ निर्वाणः ( त्रि ), 'मुक्तिप्राप्त मुनि या बुझो डुई अग्नि आदि' का का १ नाम है।
७ निर्वातः (त्रि ), 'विना हघाके स्थान आदि' का १ नाम है ॥ ८ पक्वम् , परिणतम् (२ त्रि), 'पके हुए' के २ नाम हैं । ९ गूनम् , हन्नम् (१ त्रि), 'पानाना किए हुए' के २ नाम हैं । १० मीढम् , मूत्रितम् (२ त्रि), 'पेशाब किए हुए' के २ नाम हैं ।। ११ पुष्टम् , पुषितम् ( २ त्रि ), 'पाले हुए, के २ नाम हैं ।
१. 'मूर्णमुदितं' इति पाठान्तरम् ।
२. क्षीराज्यपयसा' इति पाठान्तरम् ॥
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