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अमरकोषः ।
-१ मेदको जगलः समौ ॥ ४१ ॥
४
२ सन्धानं स्यादभिषवः ३ किण्वं पुंसि तु' मग्नहूः । कारोत्तरः सुरामण्ड ५ आपानं पानगोष्ठिका ॥ ४२ ॥ ६ चषकोऽस्त्री पानपात्रं ७ सरकोऽप्यनुतर्षणम् । ८ धूर्त्तोऽक्षदेखी कितवोऽक्षधूत यूतकृत्समाः ॥ ४३ ॥ ९ स्युर्लनकाः प्रतिभुवः १० सभिका द्यूतकारकाः ।
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१ मेदकः, अगल: ( २ पु ), लिये पीसे हुए पदार्थ विशेष' के
२ सन्धानम् (न ), अभिषवः (पु) 'मदिरा बनाने' के २ नाम है ॥ ३ किण्वम् ( न ), नग्नहूः ( + नग्नहुः । पु), 'चावल आदिको उबाल ( औट ) कर तैयार किये हुए मदिराके बीज' के २ नाम हैं ॥
* कारोत्तरः ( + कारोत्तमः ), सुरामण्ड: ( भा० दी० । २ पु ), मदिराके माँड़ ( ऊपरी हिस्सा ) के २ नाम हैं ॥
५ आपानम् ( न ), पानगोष्ठिका ( + पानगोष्ठी । स्त्री ), 'मदिरा पीनेके जमाव ( अड्डा ), के २ नाम हैं ॥
मदिरा के काढ़े या मदिरा बनानेके
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[ द्वितीयकाण्डे
नाम
६ वषकः (पुन), पानपात्रम् (न), 'मदिरा पीने के प्याले के २ नाम है ॥
१. 'नग्नहु:' इति पाठान्तरम् ॥ ३. 'बादेवी' इति पाठान्तरम् ॥
७ सरकः (पुन), अनुतर्षणम् (न), 'मदिरा पीने या परोसने ( बाँटने ), के २ नाम हैं । 'मुकु० के मत से 'चषकः, ' ४ नाम 'मदिरा पीनेके प्याले' के ही हैं' ) ॥
८ धूर्तः ( + धार्त्तः ), अक्षदेवी ( = अपदेविनू ); कितवः, अक्षधूर्त्तः, द्यूतकृत् (५ पु ), 'जुवाड़ी या जुवा खेलनेवाले' के ५ नाम हैं ॥
९ लग्नकः, प्रतिभूः ( २ पु ), 'मध्यस्थ, बीचवान, जामिनदार' के २ नाम हैं ॥
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१० सभिकः, द्यूतकारकः ( २ पु ), 'नालदार' अर्थात् 'जुवा खेलानेवाले के २ नाम है ॥
२. 'कारोत्तमः' इति पाठान्तरम् ॥
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