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अमरकोषः
[द्वितीयकाण्डे१ सडधार्थे द्विबहुत्वे स्तरस्तासु चानवतेः स्त्रियः । ३ पङ्क्तेः शतसहस्त्रादि क्रमादशमुणोत्तरम् ।। ८४ ॥
संख्याक वाचक) शब्द संख्या (गिनती) और संख्येव (गिनी जानेवाली वस्तु) के अर्थ में प्रयुक्त होने पर एकवचन ही होते हैं। ('कमशः उदाहरणा । पहला (संख्या अर्थमें ) जैसे... ब्राह्मणानां शितिः, शाम, सहस्त्रं, ....वा' इस वाक्यमें 'ब्राह्मण' शब्दर बहुवचन बहने घर भी "विंशति, शत, सहस्र, ......." शब्दका एकवचन में ही प्रयोग हुआ है। दूसरा (संख्येय अर्थात् गिनने योग्य वस्तु अर्थम ) जैले- एकोनविंशतिः, शतं, सहलं, लसं वा ब्राह्मणाः, ......' इस वाक्य में ब्राह्मण' शब्द के बहुवचन होने पर भी 'एकोनविंशति, शत, सहस्र, लक्ष,.....' शब्दों का 'एकवचन' में ही प्रयोग हुआ है, बहु. वचन में नहीं')॥
, एकोनविंशतिा,... 'परार्द्धम्' ('उन्नीस..... परार्द्ध-तक संख्या वाचक ) शब्द संख्या अर्थमें 'द्विवचन और बहुवचन' भी होते हैं । ('जैसे
विशती, तिस्रो विंशतयः, एक शतम्, द्वे शते, बोणि शतानि...... इन वाक्यों में 'विशति और शत' शब्दका तीनों वचन ( एकवक्षन, द्विवचन और बहवचन ) में प्रयोग हुआ है। इसी तरह अन्यान्य ( एकविंशति, द्वाविंशति, ...त, सहस्र, परार्द्ध) शब्दोंके विषयमें भी जानना चाहिये')॥
. विंशतिः,.....'नवनवतिः' (बीस, निन्नानवे' तक संख्या-वाचक) शब्द निस्य त्रीलिङ्ग हैं। (जैसे-विंशस्या पुरुषैः कृतम, सप्ततिर्वस्त्राणि, नव. स्था नदीनां जलम्,......" इन वाक्यों में 'पुरुष, वस्त्र और नदी' शब्दके क्रमश: 'हिटङ्ग, नपुंसक और स्त्रीलिङ्ग' होने पर भी विंशति (बोस ), सप्तति (सत्तर), नवति, (नब्बे) शब्दोंका प्रयोग केवल 'स्वीलिया में ही हुआ है, अन्य लिङ्गो (नपुंसक और स्त्रीलिङ्ग) में नहीं ॥
३ पङ्क्तिः (स्त्री), शतम, सहस्रम् ( न). भादि ('भादि पदसे 'युत्तम (न पु), लक्षम् (न स्वी), प्रयुतम् (न पु), कोटिः (स्त्री), अर्बु. स्म (न पु), अजम् (+ वृन्दम् ), खर्वम, निखर्वम, महापशम (+ महा• म्बुजम् ), शङ्खः (पु स्त्री), जलधिः ( + वार्दिः, पारिधिः,.......... । पु),
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