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श्यवर्गः ९ ]
मणिप्रभाव्याख्यासहितः । धुर्यधौरेय धुरीणाः
१ धूर्वदे २ उभावेकधुरीणैरुधुरावेकधुरावहे ३ स तु सर्वधुरीणः स्याद्यो वै ४ माहेयी सौरभेयी गोरुस्रा माता
सधुरन्धराः ।
सर्वधुरावहः ।
व शृङ्क्षिणो ॥ ६६ ॥
अर्जुन्यधन्या रोहिणी स्यापदुतमा गोषुनैचिको । ६ वर्णादिभेदात्संज्ञाः स्युः शबलीधवलादयः ॥ ६७ ॥ ७ द्विहायनी द्विवर्ण गौरकाव्दा त्येकहायनी ।
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॥ ६५ ॥
१ धूर्वहः धुय्र्यः, धौरेयः, धुरीणः, धुरन्धरः ( ५ पु ), 'धुरा (भार) को होनेवाले बैल' के ५ नाम हैं ॥
२ एकधुरीणः, एकधुरः, एकधुरावहः ( ३ पु ), 'सिर्फ एक तरफ ( दहने या बायें ) 'चलनेवाले बैल' के ३ नाम है ॥
३ सर्वधुरीणः, सर्वधुरावहः ( भा० दी० । २ पु ), 'दहने और बायें दोनो तरफ चलनेवाले बैल' के २ नाम हैं ॥
'नीचिकी' इति पाठान्तरम् ॥
४ माहेयी ( + मही ), सौरभेयी ( + सुरभिः ), गौ: ( + गो ), उना, माता ( = मातृ ), शृङ्गिणी, अर्जुनी, अध्या, रोहिणी ( ९ स्त्री ), 'गाय' के ९ नाम हैं ॥
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५ नैतिकी ( + नीचिकी । स्त्री ), 'उत्तम गाय' का १ नाम है ॥
६ शवली, धवला ( २ स्त्री ), आदि ( 'कृष्णा, कपिला, पाटला; ३ स्त्री, .......... ) 'वर्ण' ( रंग ) आदि ( प्रमाण और शरीर आदि ) के भेदसे 'चितकबरी, घावर, आदि ( काली, कपिल या कद्दल और पाटक या छाक, ) 'गायों' का क्रमशः १–१ नाम है । ( 'प्रमाण भेदसे जैसे - 'दीर्घा, इस्वा, खर्चा ( ३ स्त्री ), ..... । शरीर-भेदले जैसे- पिङ्गाची, लम्बकर्णी, तीचणशृङ्गी, (३ स्त्री ), ....... ) '
७ द्विहायनी, द्विर्षा ( भा० दी० ), एकान्छा ( भा० द० ), एकहायनी, चतुरदा ( भा० दी० ), चतुर्हायणी, व्यब्दा ( भा० दी०), त्रिहायणी (८ स्त्री),
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