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अमरकोषः।
[द्वितीयकाण्डे१ द्रोणाढकादिधामादौ द्रौगिकाइकिकादयः । २ खाशीवापस्तु नाराक ३ उत्तमर्णादयस्त्रिषु ॥ १० ॥ ५ पुन्नपुंसकयोर्वप्रः केदार क्षेत्रमस्य तु!
केदारक स्वात्कैवार्य क्षेत्र केदारिक गणे।॥ ११ ॥ ६ लोष्टानि लेवः पुंसि कोटिशो लोटभेदनः । ८ प्राजनं तोदनं तोत्नं ९ खनित्रमवदारणे ॥ १२ ॥ १० दाखवित्रम्-- मतसे 'शम्वाकृतम्' यह नाम 'अच्छी तरह सीधा जोतनके बाद तिी जोते हुए खेत' का नाम है' ) ॥
द्रौणिका, माढ कि कः (२ त्रि), आदि (प्रास्थिका, कौडविका, २ त्रि), 'एक द्रोण और एक आढक आदि (एक प्रस्थ ( सेर) एक कुडव (छटाक) मादि)बोने आदिके योग्य खेत आदि ( उतना पकाने या रखने योग्य वर्तन या उतना खाने योग्य मनुष्यादि,...')' का क्रमशः 1-1 नाम है ।
१ खारीकः (खारीवापः भा० दी.)(त्रि), 'पक बारी बोनेके योग्य खेत' का नाम है।
३ 'उत्तमर्ण' (श्लो०५) शब्दसे यहांतक सब शब्द त्रिलिङ्ग हैं। ५ वमः (पु न), केदारः (पु), क्षेत्रम् (न), 'खेत, क्यारी'के ३ नाम हैं ।
५ कैवारकम् (+केदारम ), केदार्यम् , क्षेत्रम् (भा. दी. + क्षेत्रम् महे०), कैदारिकम् (५न), 'खेतोंके समूह के ४ नाम हैं।
लोष्टम् (न । +s), लेष्टुः (पु), 'ढेला' के नाम हैं।
कोटिशः (+ कोटीशः), लोष्टभेदनः (२ पु), 'ढलोको फोड़ने. वाती मुंगरी के या हंगा' अर्थात् 'काष्ठ या दो बसोंसे बनाये गये पटेला' के नाम हैं।
“प्राजनम् ( + प्रवपणम् ), तोदनम्, तोत्रम् (३ न), 'चाबुकपेनाले नाम हैं।
बमित्रम् , अवदारणम् (२न), 'खन्ता' अर्थात् 'कुदाल, फरसा, रामा, नतामादि जमीन खोदनेवाले हथियार' के नाम हैं।
१. दानम् , अविनम् (१ म) 'हनुमा' के नाम हैं । १. क्षेत्रम्' इति महेयरसम्मतं पाठान्तरम् ॥
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