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मनुष्यवर्गः ६] मणिप्रभाव्याख्यासहितः
१ निचोलः प्रच्छद पटः २ लमो रल्लकको ॥ ११६ ।। ३ अन्तरीयोपसंव्यानपरिधानामघोऽशुके । ४ बौ प्रावारोत्तरासगी समो बुद्धांतका सधा ॥ ११७ ।।
संन्यानमुत्तरीयं च ५ बोलः कूपालकोऽस्त्रियाम् । ६ नीशारः स्यात्यावरणे हिमानिलनिवारणे ॥ १२८ ।। ७ अोरुकं परस्त्रीणा स्याश्चण्डातकमस्त्रियाम् । ८ स्यात्रिचाप्रपदीनं तत्प्राप्नोत्याघ्रपदं हि यत् ।। ११९ ।। ९ अस्त्री वितानमुल्लोचो
निचालः (+ निचुलः । त्रि), प्रच्छदटः (२ पु), महे. भा. दो. मतपे पालकी आदिके ओहार या सारङ्गी, सितार आदिके गिलाफ' (खोली ) के, क्षो० स्वा० मत से रजाई, नोसक, तकिया आदिको खोली' के और अन्याचार्यों के मतसे 'बुर्का' अर्थात् 'यवन आदिकी स्त्रियां पर्दे के वास्ते जिसको ओढ़कर पूरे शरीरको छिपाकर बाहर निकलती हैं उस वस्त्र-विशेष'-के २ नाम है।
२ रल्लकः, कम्बलः (२ पु), 'कस्बल' के २ नाम हैं।
३ अन्तरीयम्, उपसंख्यानम्, परिधानम्, अधोऽशुकम् (४ न), 'कमरसे नीचे पहने जानेवाले धोती, पायजामा, साड़ी आदि कपड़ों के ४ नाम हैं।
४ प्रावास ( + प्रावरः), उत्तरासङ्गः (२), बृहतिका (स्त्री), संख्यानम् , उत्तरीयम् (२ न), 'कमरसे ऊपर धारण करने योग्य दुपट्टा, चादर, पगड़ी आदि कपड़ो' के ५ नाम है ॥
५ चोलः ( + चोली, स्त्री), कूर्मासकः (पु न ), 'स्त्रियोंकी चोली, कुर्ती आदि' के २ नाम हैं।
नीशारः (पु), 'रजाई, दुलाई या शीतसे बचनेके लिये मोदे जानेवाले वस्त्रमात्र' का । नाम है ॥
७ अर्घोतकम् (न), चण्डातकम् (न पु), 'लहँगा' के २ नाम हैं। ८ आप्रपदीनम् (त्रि), 'पैरतक लटकनेवाले कपड़े का । नाम है ।। ९ विलानम् (म पु), होचा (पु), 'चँदवा' के २ नाम है।
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