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वनौषधिवर्गः ४] मणिप्रभाव्याख्यासहितः।
१४५ १ वेणी 'अरा गरी देवताडो जीमूत इत्यपि । २ श्रीहस्तिनी तु भूरुण्डी ३ 'तृणशून्यं तु मल्लिका ॥ ६९ ॥
भूपदी शीतभीरुश्च ४ सैवास्फोटा वनदया। ५ शेफालिका तु सुबहा निर्गुण्डी नीलिका जसा ॥ ७० ॥ ६ सिताऽसौ श्वेतसुरसा भूतवेश्य ७ थ भागधी।
गणिका युधिकाऽम्बष्ठा ८ सा पीता हेमपुष्पिका ।। ७१ ।। ९ अतिमुक्तः पुण्डकः स्याद्वासन्ती माधवी लता।
१ वेणी, खरा, गरी (+रागरो, गरा, अगरी, गरागरी। ३ स्त्री), देवताडः ( + देवतालः), जीमूतः (२ पु), 'देवताल' अर्थात् 'बन्दाली, एक तरह के गुजराती वृक्ष' के ५ नाम हैं ॥
२ श्रीहस्तिनी, भूरुण्डी ( २ स्त्री), 'एक तरह के शाक-विशेष' के २ नाम हैं । ('उसके पत्ते हाथीके कान-जैसे बड़े २ होते हैं')॥
३ तृणशून्यम् (+तृणशूल्यम् । न), मल्लिका, भूपदी, शीतभीरुः ( + शतभीरुः । स्त्री), 'छोटी बेला' के ४ नाम हैं ॥
४ भास्फोटा ( + आस्फोता। स्त्री), 'जाली बेला' का । नाम है ॥
५ शेफालिका ( + शीफालिका ), सुवहा, निर्गुण्डी, नीलिका, (४ स्त्री), 'काली नेवारी ४ नाम हैं ।
६ श्वेतसुरसा, भूतवेशी ( २ स्त्री) 'सफेद फूलवाली नेवारी' के २ नाम हैं।
७ मागधी, गणिका, यूथिका, अम्बष्ठा ( ४ स्त्री ), 'जही' के ४ नाम हैं। ८ हेमपुष्पिका (स्त्री), 'पीले फलवाली जूही' का १ नाम है ॥
९ अतिमुक्ता, पुण्डकः ( + मण्डकः । २ पु), वासन्ती, माधवी, लता, (+माधवीलता । २ स्त्री ), 'बसन्त ऋतुमें फूलनेवाले कुन्द विशेष, या माधवी' के ४ नाम हैं । ('अतिमुक्तः, पुण्डकः' ये दो 'मल्लिकाके भेद हैं। यह भी किसी २ का मत है')॥
१. 'खरागरी, गरागरी' इति पाठान्तरे ।। २. 'तृणशूल्यम्' इति पठान्तरम् ।। ३. 'भूपदी शतमीरुश्च सैवास्फोता वनोद्भवा' इति पाठान्तरम् ॥
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