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*१७ बुधमनोहरा *१८ अमर विवेक १९ 'अमरबोधिनी १० त्रिकाण्डचिन्तामणि *२१ अमरकोषम्याण्या ११ त्रिकाण्डविवेक २३ वैषम्यकौमुदी *२४ अमरकोषब्याख्या *२५ अमरवृत्ति
२६ प्रदीपमन्जरी *२७ पदचन्द्रिका *२८ अमरव्याख्या *१९ अमरबोधिनी ३० पदमन्जरी *३. व्याख्यामृत ३२ भमरटीका ३३ 'टीकासर्वस्व
महादेवतीर्थ । महेश्वर । मुकुन्दशर्मा । रघुनाथचक्रवर्ती। राघवेन्द्र । रामनाथ । रामप्रसाद । रामशर्मा । रामस्वामी। रामेश्वरशर्मा। रायमुकुट । लचमणशास्त्री। लिंगमट्ट। लोकनाथ । शङ्कराचार्य। श्रीधर । सर्वानन्द।
1. यह टोका वोपदेवानुसारिणी है।
२. सन् १६३३ ई० में यह टीका बनी टीकाकारने भूमिकामें बहुत टीकाकारोंके नाम लिये हैं।
३. बंगाल के 'राधानगर में रहनेवाले 'गोविन्द के पुत्र बृहस्पतिने 'पदचन्द्रिका' (राय मुकुटमणि) बनायी, इसीको लोग रापमुकुट कहते हैं। जो सन् १४३. ई० में बना था, इसके पूर्व १६ टीकायें थीं। 'बृहस्पति के पुत्रके , विश्राम, १ राम' आदि नाम थे । 'रापमुकुट में २७० व्यक्तियों के प्रमापक वचन हैं, यह बात Aafrecht ने लिखी है। २८, १०९-११८॥
४. यह टीका १० टीकाओं के आधारपर ११५९ ई. सन् में लिखी गयी है और लगमा क्षी. स्वा० कृत टीकाके बराबर ही है। यह रायमुकुट आदि
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