________________
५ बालबोधिनी
* ६ अमरकौमुदी
७ 'अमरकोपपञ्जिका
८ शब्दार्थसंदीपिका
९ सुबोधिनी
१० अमरकोषमाला
११ अमरकोषपञ्जिका
*१२ मुग्धबोध []
१३) व्याख्यासुधा
अथवा - रामाश्रमी
* १४ गुरुबालप्रबोधिनी
१५ सारसुन्दरी
१६ अमरपदपारिजात
[ 18 ]
...
***
...
Jain Education International
134
...
***
...
***
...
गोस्वामी ।
नयनानन्द रामचन्द्र । नारायणशर्मा ।
नारायण विद्याविनोद |
नीलकण्ठ ।
परमानन्द | बृहस्पति | भरतमल्लिक (भरतसेन ) भानुनिदीक्षित द्वितीय
रामाश्रम |
मन्जु भट्ट ।
मधुरेश. विद्यालङ्कार । महिलनाथ |
इति युक्तः पाठः' ऐसा, तथा 'कमनः कामनोऽभिक:' ( ३|१| २४ ) यहाँ 'कामनः कमनोऽभिकः' इति तु युक्तः पाठः' ऐसा कहा है । इसीप्रकार इन्होंने और भी कई जगह विवेचना की है। ये मागुरि, तथा मालाकार आदि की भी अपनी टीका में भ्रान्ति आदि बतलाये हैं ।
1. इसका दूसरा नाम 'पदार्थकौमुदी' भी है, इसको सन् १६१९ ई० में नारायणशर्माने बनाया था ।
२. इस निशानवाले टीकाओंके नाम आदिमें थोड़ा-थोड़ा अन्तर है । इन टीकाओंका नाम 'कश्पद्रुम' कोषकी भूमिका के ६ ठे पेजमें आये हैं तथा अमरभारती ( वर्ष १ अङ्क ६) के 'अमरकोषे टीकाकाराणां कृपा' शीर्षक लेख में छुपा है । [] गौरांगमशिक के पुत्र भरत मल्लिक ( भरतसेन ) की टीका बहुत विशद है । इसमें बहुत पाठान्तर है । इसमें वोपदेवके व्याकरणानुसार शब्दक्रम है | १८ वीं शताब्दी में इसके टीकाकारकी सम्भावना की जाती है ।
() 'सिद्धान्तकौमुदी' कार भट्टोजिदीक्षित' के पुत्र 'भानुजिदीक्षित'ने १७ वीं शताब्दी में बनेलवंशी 'कीर्तिसिंह'को प्रार्थनासे यह टीका बनायी ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org