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अमरकोषः।
[द्वितीयकाण्डेसर्वसहा वसुमती वसुधोर्षी वसुन्धरा । गोत्रा कुः पृथिवी पृथ्वी क्षमाऽधनिमेदिनी मही ॥३॥ 'विपुला गहरी धात्री गौरिला कुम्भिनी क्षमा (१)
भूतधात्री रत्नगर्भा जगती सागराम्बरा' (२) २ मृन्मृत्तिका३प्रशस्ता तु मृत्सा मृत्वा च मृत्तिका । ४ उर्वरा सर्वसस्याख्या ५ स्यादुषः क्षारमृत्तिका ॥४॥
६ ऊषवानूषरो द्वावप्यन्यसिसौ ७ स्थलं स्थली । क्षौणिः, चौणी), ज्या ( + इज्या'), काश्यपी, क्षितिः' सबंसहा, वसुमती, वसुधा, उर्वी, वसुन्धरा, गोत्रा, कुः, पृथिती ( + पृथवी ), पृथ्वी, चमा, भवनिः (+अवनी), मेदिनी मही ( + महि: । २७ स्त्रो), 'पृथ्वी, के २. नाम हैं।
[विपुला, गह्वरी, छात्री, गौः ( = गो), इला, कुम्भिनी, क्षमा, भूतधात्री, रत्नगर्भा (+ स्नवती), जगती, सागराम्बरा (११ स्त्री)'पृथ्वी, के नाम हैं ]॥
२ मृत् (= मृद् ), मृत्तिका ( २ स्त्री), 'मिट्टी के नाम हैं । ३ मृत्सा, मृत्स्ना (२ स्त्री), 'अच्छी मिट्टी' के २ नाम हैं ॥ ४ उर्वरा ( + ऊर्वरा । स्त्री), उपजाऊ मिट्टो' का १ नाम है ॥
५ ऊषः (पु), क्षारमृत्तिका (मी,) 'खारी मिट्टी' अर्थात् 'सादी मिट्टी, रेह' के नाम हैं।
६ अषवान् ( = अश्वत् ), ऊपरः (२ त्रि ), 'स्वारी मिट्टीवाले स्थान, अर्थात् 'ऊसर या रेहघट जमीन' के २ नाम हैं ।।
७ स्थलम् (न), स्थली (स्त्री), 'स्थल' के नाम हैं । ('अकृत्रिम भूमि' का 'स्थली' (स्त्री) यह १ नाम है, 'कृत्रिम भूमि' का 'स्थला' (बी) यह । नाम है और 'भूमिसामान्य' अर्थात् 'भूमिमात्र' का 'स्थलम्' (न) यह नाम है)।
१. 'इज्या इति मूर्खव्याख्या, 'ज्या भौर्वी 'ज्या वसुन्धरा' इति शाश्वतविरोधात' इति सौ.स्वा.॥
२. वोचिः पतिमहिः केलिरिस्याचा हस्वदीर्धयोः' इति वाचस्पत्युक्तेः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org