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पारिवर्गः १० मणिप्रभाब्याख्यासहितः।
-१ दुर्नामा दीर्धकोशिका । २ जलाशयो जलाधार३स्तत्रागाध जलो हदः ॥ २५ ॥ ४ माहावस्तु निपानं स्थादुपकराजलाशये। ५ पुस्येवान्धुः प्रहिः कूर उदासानं तु पुंसि घा॥ २६ ॥ ६ नेमिस्त्रिकाऽस्य ७ वीनाहो मुखबन्धनमाय गत् । ८ पुष्करिण्यां तु खातं स्यारदखातं देवनातकम् ।। २७॥ १. पप्राकरस्तडागाऽखी ११ कासार: सरसी सरः।
. दुर्नामा (= दुर्नामन् , पु । + दुर्नाम्नी, स्त्र), दीर्घकोशिका (स्त्री। + वीर्घकोषिका), 'जोकके समान एक प्रकारके जलचर-विशेष के २ नाम हैं॥
२ जलाशयः, जलाधारः (२ पु), 'तालाव, पोखरा, बावली मादि' के २ नाम हैं। __३ हृदः (पु), 'अथाह जलपाले तालाब आदि' का । नाम है ॥
४ माहावः (पु), निपानम् (न), "सुखपूर्वक गौ आदिके जल पीनेके लिये कूप के पास बनाये हुए हौज' के २ नाम हैं ॥
५ अन्धुः, प्रहिः, कूपः (३ पु), उदपानम् (न पु), 'कूआं, इनारा' के नाम हैं ॥
६ नेमिः ( भा. दी० म० ) त्रिका (२ स्त्री) 'धुरई, गद्दारी' के नाम हैं। ७ वीनाहः (पु। + विनाहः ), 'कुंएके जगत्' का १ नाम है।
८ पुष्करिणी (स्त्री), खातम् (न) 'पोखरी, छोटी तलैया' के २ नाम हैं।
९ अखातम, देवखातकम् ( २ न ), 'अकृत्रिम या देवमन्दिरके आगे. वाले पोखरा, तालाब आदि के २ नाम हैं ।
१. पद्माकरः, तडागः ( + तदाका, तटागः, तटागः । २ पु), 'कमल उत्पन्न होनेवाले अथाह तालाब आदि' के २ नाम हैं ॥
" कासारः (पु), सरसी (स्त्री), सरः ( = सरस् न ), 'कृत्रिम (किसी
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