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पद
६९२ द्रुपद पुं० जुओं पृ० ६१०
द्विवक्त्र पुं० एक जातनो राक्षस (२) द्रोण पुं० जुओ पृ० ६११
बे मोवाळो साप द्रौपदी स्त्री० जुओ पृ० ६११ द्वैतवन न० जुओ पृ० ६११ द्वंद्वमोह पुं० सुखदुःखादि द्वंद्वोथी थतो द्वैधीभाव पुं० बे भाग पडवा-पाडवा ते मोह (२)द्विधा-संशयथी उत्पन्न थती (२) बे भाग होवापणुं (३) शंका; मूंझवण [वरस चाले तेवू अनिश्चय (४) आ के ते' एम बेमांथी द्वादशवार्षिक वि० बार वरसन; बार शं स्वीकारQ ते न समजावं ते (५) द्वारवती स्त्री० जुओ पृ० ६११ बहारथी जुएं अने अंतरथी जुईं एम द्विचरण वि० बे-पगाळं; बे पगवाळं 'बेवडी रमत' (६) सैन्यना बे भाग द्विचंद्रमति पुं० (तिमिर नामना आंखना पाडीने शत्रुनी पजवणी करवी ते
रोगथी) बे चंद्र देखावानो भ्रम द्वैपक्ष न० बे पक्ष पडी जवा ते द्विबाहु पुं० मनुष्य
द्वघक्ष वि० बे आंखवाळू
धनायति प० (धननी इच्छा करवी) धनाशा स्त्री० धननी आशा-इच्छा धन्वन पं० एक झाड (धमासो) धन्वंतरि पुं० जुओ पृ० ६११ धर्म, धर्मराज पुं० जुओ पृ० ६११ धर्मारण्य न० जुओ पृ० ६११ (२)
तपोवन धर्षणा स्त्री० धर्षण; अपमान (२) अत्याचार ; बळात्कार (३) पराभव; पराजय धवलगिरि पुं० जुओ पृ० ६११ धातुमय वि० लाल धातुओथी भरेलु धातुरस पुं० धातुन बनावेलु प्रवाही
(लखवा माटे) धान्यपलालन्यायः जुओ पृ० ६३३ धान्वंतर्य न० धन्वंतरि देवतावाळो होम धामकेशिन, धामनिधि पुं० सूर्य घाय्या स्त्री० ईंधण; बळतण (२) यज्ञनो अग्नि सळगाववानो होय त्यारे गवाती ऋचा धारय पुं० देवादार धाराश्रु न० आंसुओर्नु पूर
धुर्यता स्त्री० आगेवानी; नेतृत्व धूपग्रह पुं० धूपदानी धूपति पुं० एक प्रकारनी सिगरेटबीडी
जथो धूमलता स्त्री० गूंचळां वळतो धुमाडानो धूलिहस्तयति (धूळवाळा हाथ करवा) धृतगर्भ वि० गर्भ धारण कर्यो होय तेवू धृतराष्ट्र पुं० जुओ पृ० ६११ धृतिगृहीत वि० धृतियुक्त; अडग धृति कृ अडग रहेवू; स्थिर रहेवू; तृप्ति
के संतोष मेळववां धति बंध धीरज दाखववी; मक्कमता बताववी; मन स्थिर करवू) धैर्यकलित वि० दृढ; स्थिर धोरणि, धोरणी स्त्री० सततपणुं; परंपरा
तेवं धौतमूल वि० जेनां मूळ धोवायां होय ध्यानयोग पुं० एकध्यान थवारूपी योग ध्रु १,६ प० स्थिर थर्बु (२) जवू; खसवु (३) निश्चितपणे जाणवू (४) हणवू ध्व १५० वांकुं वाळवू (२) हणवू
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