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दुर्विद
दाक्षिणात्य
६९० दाक्षिणात्य पुं० जुओ पृ० ६१० दिश्य वि० दिशाने लग; दिशामां दानवज पुं० वैश्यवर्णन उपनाम आवेलु (२) परदेशचें; बहारनुं दारुक पुं० जुओ पृ० ६१०
दिष्टभाज् पुं० देव दारुकावन न० जुओ पृ० ६१० दीक्षित पुं० यज्ञनो प्रारंभविधि करतो दारुण न० (मृग,पुष्य, ज्येष्ठा अने मूल ऋत्विज के पुरोहित (२)शिष्य (३) ए) प्रतिकूळ नक्षत्रोनो वर्ग
जेणे के जेना पूर्वजोए ज्योतिष्टोम जेवा दारुवन न० दारुकावन (जुओ पृ०६१०) यज्ञविधि कर्या होय ते [स्त्री दार्दुर वि० दर्दुर पर्वतर्नु
दीपिकाधारिणी स्त्री० दीवो ऊंचकनारी दाशार्हाः पुं० ब० व० दशाह राजाना दीप्तकिरण पुं० सूर्य वंशजो; यादवो
दीप्तनिर्णय पु० निश्चित परिणाम दाशेरक पुं० जुओ पृ० ६१०
दीर्घतपस् पुं० गौतम (अहल्याना पति) दासजन पुं० दास; नोकर
दीर्घतमस् पुं० उतथ्य ऋषिनो पुत्र (ते दासता स्त्री० दासपणुं; गुलामी
गुरुना शापथी आंधळो थयो हतो) दासमीयाः पुं० ब० व० एक देश अने दीर्घयज्ञ वि० लांबा समय सुधी यज्ञ करतुं तेना लोको (२) उच्च वर्णनी स्त्रीने दीर्घाकृ ८ उ० लांबं करवू; लंबाव शूद्रथी थयेलां संतान
दुकलपट्ट पुं० सुंदर रेशमी वस्त्रनो फेंटो दिग्देश पुं० दूरनो प्रदेश (२) प्रदेश दुरारोप वि० जेनी पणछ चडाववी दिग्बंध पुं० दिशा-यंत्रथी दिशाओ मुश्केल होय तेवू (धनुष्य) नक्की करी लेवी ते
दुरावर्त वि० प्रतीति कराववं मुश्केल दिति स्त्री० जुओ पृ० ६१० [इच्छा
होय तेवं दिधीर्षा स्त्री० टेको के आधार आपवानी दुर्गतता स्त्री० दुर्दशा दिलच्छिद्र न० राशि के नक्षत्र (२) दुर्गतरणी स्त्री० सावित्री अर्धा दिवसने प्रारंभे के अंते चंद्रन
दुर्गसंस्कार पुं० जूना किल्ला- समारकाम स्थळांतर थवं ते
दुर्जनायते आ० (दुष्ट बनवू; वैरी बनवू) दिनलाथ पुं० सूर्य दिवस दुर्जनीकृ निंदापात्र के दोषित बनाववं दिनस्पश न० त्रण दिवसने स्पर्शतो चांद्र दुर्जातजायिन् वि० फोगट जन्म धारण दिलीप ० जुओ पृ० ६१०
करनालं; व्यर्थ जीवनवाळं दिवसीय रात्रिने दिवसमां पलटी नाखवी
दुर्जातबंधु पुं० आपत्तिने वखते साथे दिवाकीर्ति पुं० वाळंद; हजाम (२)घुवड
रहेनारो (३) हलका वर्णनो माणस; चांडाल दुर्बाध वि० निवारी न शकाय तेवू दिवानिशन अ० दिवसे अने राते दुर्मनायते आ० (खिन्न के दुःखी थर्बु, दिव्य पुं० दैवी सत्त्व; देव (२) जव मूंझाएँ) (३) यम
दुर्मर्षित वि० उश्केरेलु ; चडावेलु दिव्यमानुष पुं० उपदेवता
दुर्योधन पुं० जुओ पृ० ६१० दिव्यरस पुं० पारो (२) प्रेम
दुर्लक्ष्य न० खराब लक्ष्य दिव्यौषधि स्त्री० सापर्नु झेर उतारी दुर्वासना स्त्री० दुष्ट भावना के इच्छा नाखे तेवी अलौकिक शक्तिवाळी दुर्वासस् पुं० जुओ पृ० ६१० वनस्पति
दुर्विद वि० अज्ञेय; अगम्य
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