________________
त्रिवेणी
६८९ .
वाक्षायण्य त्रिवेणी स्त्री० जुओ पृ० ६०९ त्रिसामन् वि० त्रण साम (वेदमंत्र) त्रिशंकु पुं० जुओ पृ० ६०९
गाना त्रिशाख वि० त्रण करचलीवाळं; त्रुटि पुं०, त्रुटी स्त्री० एक अति सूक्ष्म त्रण वांक पड्या होय तेवू
समयनुं माप (क्षणनो चोथो भाग) त्रिषष्टि स्त्री० श्रेसठ
त्वपत्र न० तज; दालचीनी त्रिसंध्यम् अ० सवार, बपोर अने। त्वक्सार पुं० वांस (२) तज; दालचीनी सांजनी संध्याओ वखते
स्वरम् अ० त्वराथी त्रिसाधन वि० त्रण प्रकारनी कारणता- स्वष्ट पुं० जुओ पृ० ६०९ वाळं
त्सरुमार्ग पुं० तलवारना आटापाटा
द
दक्ष पुं० जुओ पृ० ६०९ दक्षविध्वंस पुं० शंकर दक्षिणापथ पु० जुओ पृ० ६०९ इग्षबीजन्यायः जुओ पृ० ६३३ दत्त पुं० दत्तात्रेय (जुओ पृ० ६०९) दत्तनृत्योपहार वि० नृत्यनी भेट आपेलं दत्तात्रेय पुं० जुओ पृ० ६०९ दस्त्रिम वि० दानन; दानमां मळेलु दषिकुल्या स्त्री० दहींनो प्रवाह दधीच पुं० जुओ पृ० ६०९ दमयंती स्त्री० जुओ पृ० ६०९ दमिल पुं० जुओ पृ० ६०९ दरद पुं० जुओ पृ० ६०९ दरीभूत् पुं० पर्वत दरीमुख न० गुफारूपी मों (२) जुओ
'दरिमुख' (पृ० २०४) दर्भवती स्त्री० जुओ पृ० ६०९ दशकंठारि पुं० राम (रावणना शत्रु) दशगुणित वि० दशनी संख्याथी गुणेलं;
दशग] दशधर्म पुं० व्यथा दशपुर न० जुओ पृ० ६०९ दशमुखरिपु पुं० राम (रावणना शत्रु) दशयोजन न० दश योजन जेटलं अंतर दशरथ पुं० जुओ पृ० ६०९ वशरश्मिशत पुं० सूर्य(हजार किरणवाळो)
दशवर्ग पुं० (पोताना तेम ज शत्रुना) अमात्य, राष्ट्र, दुर्ग, कोश अने दंड-ए पांच पांच वर्ग दशशताक्ष पुं० इंद्र (हजार आंखवाळो) दशाधिपति पुं० दश माणसोनो जमादार दशार्णा स्त्री० जुओ पृ० ६०९ दशार्णाः पुं० ब० व० जुओ पृ० ६०९ दशाह पुं० जुओ पृ० ६०९।। दलौ पुं० द्वि० व० देवोना वैद्य-बे
अश्विनीकुमारो दहन न० दाह; बाळq ते दंडकारण्य न० जुओ पृ० ६०९ दंडकाष्ठ न० लाकडानो दंडो दंडनिधान न० क्षमा; माफी वंडापूपिकान्यायः जुओ पृ० ६३३ दंडिन् पुं० जुओ पृ० ६१० वंतपुर न० जुओ पृ० ६१० दंतप्रवेष्ट न० दंतूशळनी खोळी दंतवेष्ट पुं० दंतूशळ उपर- कडं (२)
अवाळु; पेढुं दंतादंति अ० एकबीजाने दांत वडे
बचकां भरीने (लडवं) दंध्वन पुं० जेमांथी सिसोटी वाग्या करे
छे तेवू नेतर - बरु भोलि पुं० इंद्रनुं वज़ दाक्षायण्य पुं० सूर्य
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org